चैत्र पूर्णिमा : चैत्र पूर्णिमा पर सिद्धपीठ घाटा मेहंदीपुर बालाजी में हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। मंदिर के महंत डॉ. नरेशपुरी महाराज के सान्निध्य में पंडितों ने स्वयंभू बालाजी का पंचामृत स्नान कराकर सोने के चोले से बालरूप झांकी सजाई व छप्पनभोग लगाया गया। इसके बाद महंत द्वारा महाआरती की गई। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु बालाजी के दर पहुंचे हैं।
इसके बाद महंत ने बालाजी, भैरव बाबा और प्रेतराज सरकार को विशेष भोग लगाया और भक्तों पर जल छिड़का तो जयकारे गूंज उठे। महाआरती में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर समेत कई संत भी मौजूद रहे. यहां बालाजी महाराज के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं.
भजनों की धुन पर श्रद्धालु झूम उठे
बालाजी महाराज की जन्मोत्सव आरती के बाद जब मंदिर के सामने भजन बजने लगे तो आरती में मौजूद श्रद्धालु नाचते-गाते नजर आए। जिससे मंदिर परिसर का माहौल धर्ममय हो गया। श्रद्धालुओं ने सीताराम दरबार, राधा-कृष्ण व समाधि बाबा के दर्शन कर खुशहाली की कामना की।
एक सप्ताह में तीन बार दर्शन का स्वरूप बदलता है
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में विशेष श्रृंगार और चोला चढ़ाया जाता है। चोला चढ़ाने वाले व्यक्ति की सभी इच्छाएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं। बालाजी के चोले में घी और सिन्दूर के साथ सोने-चांदी का काम होता है। ऐसा माना जाता है कि जब हनुमानजी अरावली की घाटियों के बीच पहाड़ी से प्रकट हुए तो बालक रूप में हनुमानजी को पसीना आ गया, जो एक धारा के रूप में बहता रहता है। धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर में बजरंगबली की बाल मूर्ति किसी कलाकार द्वारा नहीं बल्कि स्वयं निर्मित है। मंदिर में बालाजी, प्रेतराज और भैरव बाबा के रूप में तीन देवता हैं।