आज विश्वकर्मा पूजा पर बन रहे ये खास संयोग, जानें पूजन मुहूर्त, बिजनेस में होगा लाभ ही लाभ
विश्वकर्मा जयंती हर साल अश्विन माह की कन्या संक्रांति यानी 17 सितंबर को मनायी जाती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विश्वकर्मा जयंती हर साल अश्विन माह की कन्या संक्रांति यानी 17 सितंबर को मनायी जाती है. इस बार विश्वकर्मा पूजा शनिवार के दिन पड़ेगा. इस बार विश्वकर्मा जयंती पर पूजा के तीन शुभ मुहूर्त और खास संयोग बन रहे हैं. विश्वकर्मा पूजा के दिन सृष्टि के पहले हस्तशिल्पकार और वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना विधि-विधान से की जाती है. मान्यता है कि इस दिन बिजनेस में लाभ कमाने और सफलता पाने के लिए विश्वकर्मा भगवान की पूजा की जाती है. इस दिन लोग अपने संस्थान-फैक्ट्रियों में औजारों-मशीनों की और अपनी गाड़ियों की भी पूजा करते हैं.
तीन शुभ मुहूर्त पर कर सकते हैं पूजा
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के अस्त्र (त्रिशूल, सुदर्शन चक्र आदि), भवन, स्वर्ग लोग, पुष्पक विमान का निर्माण किया था. विश्वकर्मा जयंती को बुनकर, शिल्पकार और औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े लोग धूमधाम से मनाते हैं. इस विश्वकर्मा जयंती पर पूजा के तीन शुभ मुहूर्त हैं.
सुबह का मुहूर्त – सुबह 07 बजकर 39-09 बजकर 11 (17 सितंबर 2022)
दोपहर का मुहूर्त – 01 बजकर 48-03 बजकर 20 (17 सितंबर 2022)
तीसरा शुभ मुहूर्त – दोपहर 03 बजकर 20 -शाम 04 बजकर 52 (17 सितंबर 2022)
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विश्वकर्मा पूजा पर बन रहे ये खास संयोग
हिंदू पंचांग के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. यह सुबह 06 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. फिर द्विपुष्कर योग दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से दोपहर 02 बजकर 14 मिनट तक है. रवि योग सुबह 06 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक और अमृत सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 06 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगा.
भगवान विश्वकर्मा को माना जाता है संसार का पहला इंजीनियर
भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा जी के मानस पुत्र माने जाते हैं. भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला बड़ा इंजीनियर माना जाता है. भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्ग लोक, सोने की लंका, द्वारिका और हस्तिनापुर का निर्माण किया था. मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से तमाम इंजीनियर, मिस्त्री, वेल्डर, बढ़ई जैसे कार्य से जुड़े लोग अधिक कुशल बनते हैं. इससे कारोबार में बढ़ोत्तरी होती है और धन-धान्य का आगमन होता है. इस दिन दुकान, वर्कशाप, फैक्ट्री में यंत्रों और औजारों की पूजा करने से कार्य में कभी कोई रुकावट नहीं आती और खूब तरक्की होती है.