आज शुक्रवार को करे माता वरलक्ष्मी की आरती और प्रभावी मंत्र का जाप
सावन के आखिरी शुक्रवार को माता वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है। मां वरलक्ष्मी की उत्पत्ति क्षीर सागर से हुई है जिसकी वजह से इनका रंग दूध की तरह श्वेत है।
सावन के आखिरी शुक्रवार को माता वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है। मां वरलक्ष्मी की उत्पत्ति क्षीर सागर से हुई है जिसकी वजह से इनका रंग दूध की तरह श्वेत है। माता वरलक्ष्मी को धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी माना जाता है। वरलक्ष्मी के व्रत से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत के जरिए शादीशुदा जोड़ों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने से आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इस दिन माता वरलक्ष्मी की आरती और मंत्र से जीवन में खुशहाली का आगमन होता है। आइये जानते है माता लक्ष्मी की आरती और प्रभावी मंत्र को:
माता वरलक्ष्मी मंत्र
या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:।
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा।
तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्।।
माता वरलक्ष्मी आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता।।
उपर्युक्त मंत्र और आरती से माता वरलक्ष्मी की कृपा होती होती है। जिससे व्यक्ति के जीवन में धन, यश, प्रेम, शांति, संपन्नता और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।