ज्येष्ठ माह का पहला शुक्र प्रदोष व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
ज्येष्ठ माह का शुक्र प्रदोष व्रत आज 27 मई दिन शुक्रवार को है. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्येष्ठ माह का शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat) आज 27 मई दिन शुक्रवार को है. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. यह व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है. महादेव के आशीर्वाद से सुख, समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य, धन, संपत्ति, सौभाग्य, पुत्र आदि की प्राप्ति होती है. शुक्र प्रदोष व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है, जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत के मुहूर्त, व्रत और पूजा विधि के बारे में.
शुक्र प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त
ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 27 मई, शुक्रवार, दिन में 11 बजकर 47 मिनट से
ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तिथि का समापन: 28 मई, शनिवार, दोपहर 01 बजकर 09 मिनट पर
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 05 बजकर 25 मिनट से पूरी रात तक
सौभाग्य योग: सुबह से लेकर रात 10 बजकर 09 मिनट तक, फिर शोभन योग
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शिव पूजा का प्रदोष मुहूर्त
आज शुक्र प्रदोष पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 12 मिनट से रात 09 बजकर 14 मिनट तक है. प्रदोष व्रत में शिव जी की पूजा शाम के समय में ही करते हैं क्योंकि प्रदोष काल में भगवान शिव प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं. ऐसी धार्मिक मान्यता है.
शुक्र प्रदोष व्रत और पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं और भगवान शिव की दैनिक पूजा कर लें. इस दौरान शुक्र प्रदोष व्रत एवं पूजा का संकल्प कर लें. विवाहित लोगों में पति पत्नी को साथ में व्रत और पूजा करनी चाहिए.
2. दिनभर भगवान शिव की भक्ति करें. व्रत हैं, तो फलाहार पर रहें. प्रदोष व्रत के पूजा मूहूर्त में शिव मंदिर जाएं या फिर घर पर ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की तैयारी कर लें.
3. प्रदोष मुहूर्त में शाम के समय शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक कराएं. उसके बाद गाय के दूध से अभिषेक करें. फिर जल से स्नान कराएं.
4. इसके बाद महादेव को चंदन, अक्षत्, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, फूल, फल, शक्कर, शहद, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें.
5. अब आप माता पार्वती की पूजा करें. उनको फूल, अक्षत्, सिंदूर, कुमकुम, फल, धूप, दीप, श्रृंगार सामग्री आदि अर्पित करें. इसके पश्चात शिव चालीसा, पार्वती चालीसा, शुक्र प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें.
6. फिर घी के दीपक से भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें. फिर अपनी मनोकामना शिव और शक्ति के समक्ष प्रकट कर दें. सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करें.
7. पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें और किसी ब्राह्मण को दान दक्षिणा दें. अगले दिन सुबह फिर स्नान के बाद शिव पूजा करें और पारण करके व्रत को पूरा करें.