आज है शनिश्चरी अमावस्या, शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए अपनाएं ये उपाय
वैशाख मास की अमावस्या के दिन शनिवार पड़ने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। शनि अमावस्या के साथ सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। हिंदू वर्ष के दूसरे माह वैशाख मास की अमावस्या का काफी अधिक महत्व है।
वैशाख मास की अमावस्या के दिन शनिवार पड़ने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। शनि अमावस्या के साथ सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। हिंदू वर्ष के दूसरे माह वैशाख मास की अमावस्या का काफी अधिक महत्व है। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इस दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाएगी। इसके साथ ही जिनकी कुंडली में साढ़े साती ढैय्या और शनि दोष है। वह जातक आज के दिन कुछ खास उपाय करके इन दोषों से दुष्प्रभावों को कम करके शनि देव की कृपा पा सकते हैं। जानिए शनिश्चरी अमावस्या के दिन कौन से उपाय करना होगा शुभ।
शनिश्चरी अमावस्या का शुभ मुहूर्त
वैशाख अमावस्या शनिवार 30 अप्रैल को तड़के 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर 1 मई तड़के 1 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। 30 अप्रैल को उदया तिथि होने के कारण इसी दिन पूजा-अर्चना की जाएगी।
साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के उपाय
साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें। इसके साथ ही सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इससे शनिदेव अति प्रसन्न होंगे।
शनिश्चरी अमावस्या के दिन भगवान हनुमान जी की पूजा करने से भी शनि दोष से छुटकारा मिलता है। इसलिए इस दिन पूजा करने के साथ बजरंगबली को चमेली का तेल में सिंदूर मिलाकर लेप लगाएं। इससे लाभ मिलेगा।
शनिश्चरी अमावस्या के दिन हनुमान जी को लाल रंग का सिंदूर और लाल लंगोट अर्पित करें। इससे साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम हो जाएगा।
शनिश्चरी अमावस्या के दिन सुबह के समय पीपल की जड़ में जल अर्पित करें और शाम को सरसों का तेल का दीपक जलाएं। इससे भी साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव कम होगा।
साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम करने के लिए इस दिन शनि मंदिर जाकर शनिदेव की पूजा करें। इसके साथ ही शनि चालीसा और शनि स्त्रोत का पाठ करें।
शनि अमावस्या के दिन लोहे के बर्तनों के अलावा काले जूते और छाते का दान करें। इसके साथ ही जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। इससे लाभ मिलेगा।