आज है रामनवमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पंचांग के मुताबिक, चैत्र माह की नवमी तिथि को मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के साथ-साथ रामनवमी का पर्व भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने अयोध्या में राजा दशरथ के घर जन्म लिया था।

Update: 2022-04-10 03:42 GMT

पंचांग के मुताबिक, चैत्र माह की नवमी तिथि को मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के साथ-साथ रामनवमी का पर्व भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने अयोध्या में राजा दशरथ के घर जन्म लिया था। इसी कारण नवमी तिथि को प्रभु श्री राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। जानिए रामनवमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

रामनवमी का शुभ मुहूर्त

नवमी तिथि का प्रारंभ- 10 अप्रैल देर रात 01 बजकर 32 मिनट से शुरू

नवमी तिथि समाप्त- 11 अप्रैल सुबह 03 बजकर 15 मिनट तक

राम जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त- 10 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 06 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक

पूजा का मुहूर्त - 10 अप्रैल सुबह 11 बजकर 10 मिनट से दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक

सुकर्मा योग: दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक

चौघड़िया का मुहूर्त

चार- सुबह 07:38 से 09:13 तक फिर शाम 06:39 से पात 08:04 तक

लाभ- सुबह 09:13 से 10:47 तक फिर रात 08:04 से 09:30 तक

अमृत वार वेला- सुबह 10:47 से दोपहर 12:21 PM

शुभ- दोपहर 01:56 से 03:30 तक

श्री राम को लगाएं इन चीजों का भोग

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि श्रद्धा के अुसार आप जो भी भगवान को अर्पित करते हैं वह उसे प्रेम के साथ ग्रहण कर लेते हैं। आप चाहे तो इस दिन भगवान को प्रसाद के रूप में पंचामृत, श्रीखंड, हलवा या फिर खीर बनाकर सकते हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीराम के पूजन में घी और दूध से बनी चीजों का इस्तेमाल करने से वह जल्द प्रसन्न हो जाते हैं।

रामनवमी के दिन ऐसे करें श्री राम की पूजा

नवरात्रि के नवें दिन यानी रामनवमी के दिन सुबह उठकर सभी कामों को करके स्नान कर लें। इसके बाद भगवान राम का स्मरण करते हुए सीता-राम बोलते रहें। इसके बाद विधिवत तरीके से श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की पूजा करें। सबसे पहले भगवान को पुष्प चढ़ाएं। इसके बाद चंदन, कुमकुम, सिंदूर, अक्षत आदि लगा दें। फिर फूलों का माला पहना दें। इसके बाद तुलसी जल चढ़ा दें। इसके बाद उन्होंने भोग लगाएं और जल अर्पित कर दें। जल चढ़ाने के बाद घी का दीपक जलाएं और राम की स्तुति के साथ राम रक्षा स्तोत्र, रामायण, श्री रामचरित मानस का पाठ कर लें और फिर प्रभु श्रीराम को माता सीता के साथ झूला में झुलाएं। यह काफी शुभ माना जाता है। अंत में घी के दीपक, कपूर, धूप से आरती कर लें।


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