आज है महावीर जयंती, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव इस वर्ष 14 अप्रैल, गुरुवार यानी मनाया जाएगा।

Update: 2022-04-14 03:34 GMT

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव इस वर्ष 14 अप्रैल, गुरुवार यानी मनाया जाएगा। जैन धर्म के अनुयायी महावीर जयंती को हर्षोल्लास से मनाते हैं। भगवान महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार के कुंडलपुर के राज घराने में हुआ था। इनके माता का नाम त्रिशला और पिता सिद्धार्थ थे। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। राजसी ठाट-बाठ में पाले बढ़े वर्धमान ने तमाम भौतिक सुविधाओं को त्यागकर 30 वर्ष की आयु में घर छोड़कर 12 साल कठोर तप करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया और वह तीर्थंकर कहलाएं। भगवान महावीर ने दिगंबर रूप को स्वीकार्य कर लिया और निर्वस्त्र रहकर मौन साधना की। हर साल जैन धर्म में आस्था रखने वाले महावीर जयंती को धूमधाम से मनाते हैं। जैन मंदिरों को इस दिन फूलों से सजाया जाता है और विधिवत पूजा की जाती है। कई जगहों पर शोभायात्रा निकाली जाती है। इस साल महावीर स्वामी का 2620वां जन्म दिवस मनाया जाएगा। आइए जानते हैं महावीर जयंती की तिथि, मुहूर्त एवं महत्व के बारे में।

महावीर जयंती तिथि एवं शुभ मुहूर्त

तिथि:14 अप्रैल, गुरुवार

त्रयोदशी तिथि आरंभ: 14 अप्रैल 2022, सुबह 04.49 बजे से

त्रयोदशी तिथि समाप्त: 15 अप्रैल 2022, सुबह 03.55 बजे तक

महावीर जयंती का महत्व

जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महावीर जयंती बहुत ही विशेष दिन माना जाता है। भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए मनुष्यों के लिए पांच नियम स्थापित किए जिन्हें हम पंच सिद्धांत के नाम से जानते हैं। ये पंच सिद्धांत हैं- अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, सत्य और अपरिग्रह। इस दिन भगवान महावीर की पूजा-अर्चना की जाती है और उनके दिए गए उपदेशों को स्मरण करके उनके बताए गए सिद्धांतों पर चलने का प्रयास किया जाता है। इस अवसर पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भगवान महावीर की जयंती पर लोग भगवान महावीर की पूजा करते हैं और गरीबों को दान देते हैं।

क्या होता है कैवल्य ज्ञान

हिन्दू धर्म में कैवल्य ज्ञान को स्थित प्रज्ञ, प्रज्ञा कहते हैं। यह मोक्ष या समाधि की एक अवस्था होती है। समाधि समयातित है जिसे मोक्ष कहा जाता है। इस मोक्ष को ही जैन धर्म में कैवल्य ज्ञान और बौद्ध धर्म में संबोधी एवं निर्वाण कहा गया है। योग में इसे समाधि कहा गया है। महावीर स्वामी ने 'कैवल्य ज्ञान' की जिस ऊंचाई को छुआ था वह अतुलनीय है। वह अंतरिक्ष के उस सन्नाटे की तरह है जिसमें किसी भी पदार्थ की उपस्थिति नहीं हो सकती। जहां न ध्वनि है और न ही ऊर्जा। केवल शुद्ध आत्मतत्व। भगवान महावीर जैन धर्म के संस्थापक नहीं प्रतिपादक थे। उन्होंने श्रमण संघ की परंपरा को एक व्यवस्थित रूप दिया। भगवान महावीर ने 12 साल तक मौन तपस्या तथा गहन ध्यान किया। अन्त में उन्हें 'कैवल्य ज्ञान' प्राप्त हुआ। कैवल्य ज्ञान प्राप्त होने के बाद भगवान महावीर ने जनकल्याण के लिए शिक्षा देना शुरू की।


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