आज चैत्र पूर्णिमा, जानिए इस दिन चंद्रमा की पूजा के लाभ एवं चंद्रोदय का सही समय

हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है।

Update: 2021-04-27 01:54 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन देवी-देवताओं की कृपा पाने के लिए भक्त व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में महारास रचाया था। इस साल चैत्र पूर्णिमा कई शुभ योगों में मनाई जाएगी। इस दिन सिद्धि योग बनने के साथ चंद्रमा तुला राशि पर विराजमान रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र में सिद्धि योग को शुभ योग में गिना जाता है। इस दौरान शुभ कार्य किए जाते हैं। इस साल चैत्र पूर्णिमा 27 अप्रैल 2021 दिन मंगलवार को है।

चैत्र पूर्णिमा के दिन दान का महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा के दिन दान का दोगुना फल मिलता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना बेहद उत्तम माना गया है। कोरोनाकाल में घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। हिंदू नववर्ष का प्रथम महीना चैत्र 27 अप्रैल को पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। इसके बाद 28 अप्रैल से वैशाख प्रारंभ हो जाएगा।
पूर्णिमा के दिन क्यों होती है चंद्रमा की पूजा-

चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का भी विधान है। रात के समय चंद्रमा की पूजा करने से चंद्रमा की शुभता प्राप्त होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और कुंडली में चंद्रमा की शुभता में वृद्धि होती है।
चंद्रमा का समय-
चंद्रोदय- 07:00 पी एम
चन्द्रास्त- 05:42 ए एम
पूर्णिमा के दिन पड़ रही हनुमान जयंती-
चैत्र पूर्णिमा के दिन इस साल हनुमान जयंती भी मनाई जाएगी। हनुमान जयंती पड़ने के कारण इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है। इस दिन व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
चैत्र पूर्णिमा पूजा विधि-
सुबह स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें।
पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। इस बार कोरोना वायरस की वजह से सुरक्षित रहने के लिए घर में रहना ही बेहतर है। आप नहाने के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
इस दिन विधि- विधान से हनुमान जी की पूजा करें।
इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।
हनुमान चालीसा का पाठ करें।
हनुमान जी को भोग लगाएं और फिर हनुमान जी और सभी देवी- देवताओं की आरती करें।


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