जीवन में शांति और खुशी लाने के लिए मनुष्य को इन 4 कार्य से रहना चाहिए दूर

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में बताया कि, जीवन में शांति और खुशी लाने के लिए मनुष्य को इन 4 कार्य से दूर रहना चाहिए

Update: 2022-06-14 09:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्वान तो थे ही साथ ही वे एक अच्छे शिक्षक भी थे। इन्होंने विश्वप्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की और वहीं पर आचार्य के पद पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन भी किया। ये एक कुशल कूटनीतिज्ञ, रणनीतिकार और अर्थशास्त्री भी थे। आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में विषम से विषम परिस्थितियों का सामना किया था परंतु कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। अगर कोई व्यक्ति की आचार्य चाणक्य की बातों का अनुसरण अपने जीवन में करता है, तो वह जीवन में कभी गलती नहीं करेगा और सफल मुकाम पर पहुंच सकता है। आचार्य चाणक्य की नीतियों के अनुसार, अपने जीवन को शांतिप्रिय और सुखमय बनाए रखने के लिए मनुष्य हमेशा अच्छे कार्य करने चाहिए। जो लोग अच्छा व श्रेष्ठ कार्य नहीं करते हैं, उन्हें जीवन में न तो सफलता मिलती है और न ही वे खुश रह पाते हैं। उन्हें हमेशा कोई न कोई भय और परेशानी घेरे रहती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में बताया कि, जीवन में शांति और खुशी लाने के लिए मनुष्य को इन 4 कार्य से दूर रहना चाहिए। आइए जानते हैं क्या हैं वो चार बातें।

अहंकार से बचें
चाणक्य नीति के अनुसार सभी को अहंकार से दूर रहना चाहिए। अहंकार से व्यक्ति का सबकुछ नष्ट कर सकता है। अहंकार व्यक्ति को सच्चाई से दूर कर देता है। ऐसे लोग स्वयं को श्रेष्ठ समझने की भूल करने लगते हैं। जिस कारण लोग उनका साथ छोड़ने लगते हैं और आगे चलकर इन्हें परेशानी उठानी पड़ती है।
आलस से रहें दूर
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में आलस से दूर रहने की भी सलाह दी है। आलस व्यक्ति की प्रतिभा को नष्ट कर देता है। आलस के कारण व्यक्ति को लाभ के अवसरों से वंचित होना पड़ता है। आलसी व्यक्ति सदैव लक्ष्य से दूर रहता है। इसलिए इससे दूर रहने में ही सबकी भलाई है।
दिखावा न करें
चाणक्य के नीति शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति दिखावा करते रहते हैं, उनके जीवन में कभी शांति नहीं रहती हैं। ऐसे लोग हमेशा एक ऐसी प्रतिस्पर्धा में व्यस्त रहते हैं जिसका न तो कोई अंत होता है और न ही को महत्व। दिखावा करने वाला व्यक्ति झूठ और गलत कार्यों में लिप्त हो जाता है। जो बाद में उसके लिए परेशानी का कारण बनती है।
क्रोध मनुष्य का शत्रु
क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है, यह मनुष्य को खा जाता है। चाणक्य नीति के अनुसार जो व्यक्ति क्रोध करता है उसे कभी सम्मान प्राप्त नहीं होता। क्रोध करने वाले व्यक्ति से दूसरे लोग बचकर रहते हैं। खराब समय आने पर ऐसे लोग अकेले पड़ जाते हैं और कष्ट भोगते हैं।
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