सनातन धर्म में कई सारे व्रत ऐसे हैं जो शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से करती हैं जिनमें से एक वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत भी हैं जो कि साल में दो बार मनाया जाता हैं एक अमावस्या तिथि पर तो दूसरा पूर्णिमा के दिन किया जाता हैं।
इस बार का वट सावित्री व्रत आज यानी 3 जून दिन शनिवार को किया जा रहा हैं इस दिन महिलाएं दिनभर उपवास रखते हुए पूजा पाठ करती हैं वट सावित्री व्रत वाले दिन वट वृक्ष के साथ साथ सावित्री और सत्यवान की पूजा का विधान होता हैं। इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ कुछ नियमों का भी पालन करना जरूरी होता हैं वरना व्रत पूजन का पूर्ण फल नहीं मिलता हैं ऐसे में अगर आप भी यह व्रत कर रही हैं तो जरूरी नियम जान लें, तो आज हम आपको व्रत पूर्णिमा व्रत के नियम के बारे में बता रहे हैं।
वट सावित्री व्रत के नियम—
आपको बता दें कि इस दिन शादीशुदा महिलाओं को भूलकर भी काले या नीले रंग के वस्त्रों व अन्य चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इन रंगों को पूजा या धार्मिक अनुष्ठान में पहनना अच्छा नहीं माना जाता हैं और ना ही व्रत पूजन का फल मिलता हैं इसके अलावा घर में पूजन करने के लिए आप आज के दिन बरगद की टहनी ना तोड़े। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं जहां पर भी यह पेड़ लगा हो आप वहां जाकर पूजा करें।
आपको बता दें कि वट वृक्ष की परिक्रमा क्लॉक वाइज करनी चाहिए और इस बात का ध्यान रखें कि परिक्रमा करते वक्त आपका पैर किसी दूसरे को न लगे। ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता हैं। इसके अलावा आज के दिन पति पत्नी एक दूसरे से वाद विवाद या फिर झगड़े न करें ऐसा करने से रिश्तों में हमेशा तनाव बना रहता हैं इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए वट सावित्री व्रत में पूजा पाठ के बाद बड़ों का आशीर्वाद जरूर लें।