कुंडली का ये विपरीत राजयोग दिलाता है तमाम सुख-सुविधाएं, समाज में रहता है अच्छा प्रभाव

उन्हीं में से एक है विपरीत राजयोग. आइए जानते हैं विपरीत राजयोग के बारे में

Update: 2022-03-05 16:19 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में ग्रहों की युति से कई योग बनते हैं. जिनमें से कुछ शुभ जबकि कुछ अशुभ परिणाम देते हैं. साथ ही कुंडली में शुभ ग्रहों के योग से राजयोग भी बनते हैं. उन्हीं में से एक है विपरीत राजयोग. आइए जानते हैं विपरीत राजयोग के बारे में.

कैसे बनता है विपरीत राजयोग?
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब कुंडली में 6, 8 और 12वें भाव के स्वामी ग्रह युति योग बनाते हैं तो विपरीत राजयोग बनता है. साथ ही 6, 8 और 12वें भाव के स्वामी ग्रहों की अंतरदशा के कारण बनता है. इस राजयोग को बहुत शुभ माना जाता है. जिस जातक की कुंडली में यह योग बनता है उसे जमीन, मकान और वाहन सुख की प्राप्ति होती है. हालांकि इस राजयोग का प्रभाव लंबे समय तक नहीं रहता है.
3 प्रकार के होते हैं विपरीत राजयोग
हर्ष विपरीत राजयोग : यह राजयोग कुंडली के 6, 8 और 12वें भाव में बनता है. जिस जातक की कुंडली में यह विपरीत राजयोग बनता है वह शारीरिक रूप से पुष्ट होता है. साथ ही धनवान होता है. ऐसे लोगों का समाज में भी अच्छा प्रभाव रहता है.
विपरीत सरल राजयोग : यह राजयोग विपरीत परिस्थितियों में भी लड़ने की क्षमता प्रदान करता है. साथ ही इस राजयोग के प्रभाव से व्यक्ति विद्वान और धनवान बनता है. इसके अलावा ऐसे योग वाला व्यक्ति अथाह संपत्ति का मालिक बन जाता है.
विपरीत विमल राजयोग : कुंडली के 6, 8 और 12वें भाव के स्वामी अगर 12वें घर में हो या इस घर का स्वामी 6, 8 में हो तो विमल विपरीत राजयोग का निर्माण होता है. जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग बनता है वह हमेशा खुश रहता है.जनता से रिश्ता वेबडेस्क।


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