हरियाली तीज पर इस तरह की जाती है शिव-पार्वती की पूजा

पति की लम्बी आयु के लिए सनातन धर्म में कई अनुष्ठान हैं जिसमें हरियाली तीज का विशेष महत्व है। हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाया जाता है।

Update: 2022-07-26 02:38 GMT

पति की लम्बी आयु के लिए सनातन धर्म में कई अनुष्ठान हैं जिसमें हरियाली तीज का विशेष महत्व है। हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाया जाता है। कहा जाता है कि हरियाली तीज एक के बाद एक त्योहारों के आगमन का दिन है। इस त्योहार के बाद से देश के लगभग सभी बड़े त्योहार आने शुरू हो जाते हैं। इसे मधुश्रवा तृतीया या छोटी तीज के नाम से भी जाना जाता है। आचार्य अंजनी कुमार ठाकुर के अनुसार हरियाली तीज के बाद ही नाग पंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और नवरात्र आदि बड़े त्योहार आते हैं, जिससे भारतवर्ष की छटा में चार चांद लग जाते हैं और चारों तरफ खुशियां ही खुशियां नजर आती हैं। यह व्रत सुहागिन स्त्रियाों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। इस दिन वह निर्जला व्रत रखती हैं

शुभ मुहूर्त: हरियाली तीज तृतीया तिथि का आरंभ 31 जुलाई को सुबह 02 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा और तृतीया तिथि समापन 01 अगस्त के सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर होगा। इसलिए हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज का त्योहार 31 जुलाई 2022 दिन रविवार को मनाया जाएगा।

हरियाली तीज पूजा विधि: तीज की पूजा विधि बताते हुए आचार्य ने कहा कि इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेती हैं। इस दिन बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है और एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती व उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है।


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