Palmistry हस्त रेखा विज्ञान: हस्तरेखा शास्त्र में जीवन रेखा का विशेष महत्व माना गया है। इससे न केवल आयु का निर्धारण होता है बल्कि जीवन में आने वाले संकटों के बारे में भी पता चल जाता है। कहते हैं कि यदि समय रहते ही इसकी जानकारी हो जाए तो सतर्कता बरतने से लाभ भी हो सकता है। इसके लिए आपको किसी palmistry expert के पास जाने की भी जरूरत नहीं है। बल्कि इस आर्टिकल में दी गई जानकारी के जरिए आप खुद ही अपनी जीवन रेखा की स्थिति देखकर सबकुछ जान सकते हैं। आइए जानते हैं
यह स्थिति देती है मृत्यु जैसी अनहोनी की सूचना
हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार यह रेखा बांये हाथ में टूटी हुई हो और दांये हाथ में जुड़ी दिखाई दें तो व्यक्ति के लिए भयंकर रोग की सूचना देती है। यदि दोनों में टूटी हुई हो तो मृत्यु की सूचक होती है। ऐसा उस समय तो और भी निश्चित हो जाता है जब टूटी हुई जीवन रेखा शुक्र पर्वत क्षेत्र पर भीतर की ओर मुड़ती दिखाई दे तो जातक को सेहत संबंधी कोई भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि यदि कोई बीमारी हो तो चिकित्सक को दिखाने में लापरवाही न बरतें।
जीवन रेखा की यह स्थिति देती है उत्तम स्वास्थ्य
हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार जीवन रेखा लंबी, सकरी, गहरी, अनियमितताओं से रहित तथा बिना टूटी हुई होनी चाहिए। उस पर किसी प्रकार का गुणन चिह्न भी नहीं होना चाहिए। इस प्रकार की जीवन रेखा व्यक्ति के उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु एवं स्फूर्ति की सूचक होती है। वहीं यदि जीवन रेखा श्रृंखलाकार या टुकड़ों से जुड़ी अथवा बनी हुई हो तो वह व्यक्ति के निर्बल स्वास्थ्य का सूचक होती है। ऐसा तब होता है जब हाथ कोमल हो। जब ऐसी रेखा दोबारा अपनी क्षमता प्राप्त कर लेती है या नियमित हो जाती है तो व्यक्ति का स्वास्थ्य सुधर जाता है।
यह स्थिति देती है खराब सेहत का संकेत
हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार यदि जीवन रेखा गुरु पर्वत क्षेत्र के आधार से प्रारंभ हो तो इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति जीवन के आरंभ से महत्वाकांक्षी रहा है। यदि जीवन रेखा आरंभ होते समय श्रृंखलाकार हो तो यह जीवन के प्रारंभिक भाग में हो तो यह जातक की खराब सेहत की सूचक होती है। इसके अलावा अगर जीवन रेखा मस्तिष्क रेखा से बहुत घनिष्ठता से जुड़ी हो तो व्यक्ति का जीवन तर्क संगत एवं बुद्धिमता के द्वारा परिचालित हुआ मानना चाहिए। ऐसे व्यक्ति उन सब बातों व कार्यों के प्रति अत्याधिक संवेदनशील होते हैं जिनका संबंध उनसे होता है।
ऐसी स्थिति हो तो व्यक्ति होता है स्फूर्तिवान
हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार यदि जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा के बीच मध्यम दूरी हो तो व्यक्ति अपनी योजना एवं विचारों को कार्यरूप में परिणित करने के लिए अधिक स्वतंत्र होता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति स्फूर्तिवान तथा जीवट होता है। इसके अलावा जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा के मध्य अंतर बहुत अधिक हो तो ऐसे व्यक्ति अत्यधिक confident एवं जल्दबाज होता है। वहीं जीवन रेखा मस्तिष्क रेखा व हृदय रेखा एक साथ जुड़ी हुई हो तो ये अत्यंत अशुभ चिह्न है। ये इस बात का सूचक है कि व्यक्ति अपनी बुद्धिहीनता व आवेश के कारण किसी भी खतरे में कूद पड़ता है। मान्यता है कि ऐसा चिह्न इस बात का संकेत देता है कि जातक को दूसरों पर आंख बंदकरके भरोसा करने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।