संसार में इन चार चीजों से बढ़कर कुछ नहीं, सबसे ऊपर है इनका का स्थान

आचार्य चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्वान तो थे ही साथ ही वे एक अच्छे शिक्षक भी थे। इन्होंने विश्वप्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की और वहीं पर आचार्य के पद पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन भी किया।

Update: 2022-02-15 02:03 GMT

आचार्य चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्वान तो थे ही साथ ही वे एक अच्छे शिक्षक भी थे। इन्होंने विश्वप्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की और वहीं पर आचार्य के पद पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन भी किया। ये एक कुशल कूटनीतिज्ञ, रणनीतिकार और अर्थशास्त्री भी थे। आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में विषम से विषम परिस्थितियों का सामना किया था परंतु कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। अगर कोई व्यक्ति की आचार्य चाणक्य की बातों का अनुसरण अपने जीवन में करता है, तो वह जीवन में कभी गलती नहीं करेगा और सफल मुकाम पर पहुंच सकता है। चाणक्य नीति के अनुसार संसार में चार चीजें ऐसी हैं जिससे बढ़कर जीवन में कुछ भी नहीं है। आचार्य चाणक्य ने श्लोक के माध्यम से संसार की उन 4 चीजों के बारे में बताया है जो सबसे ऊपर है। आइए जानते हैं कौन-सी हैं वह 4 चीजें।

श्लोक

नान्नोदकसमं दानं न तिथिर्द्वादशी समा ।

न गायत्र्याः परो मन्त्रो न मातुर्दैवतं परम् ॥

अन्न से बढ़कर कोई दान नहीं

आचार चाणक्य के नीति शास्त्र के अनुसार संसार में अन्न और जल ससे बढ़कर कोई भी दान नहीं है। यही दो ऐसी वस्तुएं हैं जिनसे मनुष्य की भूख और प्यास मिटती है। मनुष्य के जीवन में भोजन और पानी का होना बहुत आवश्यक है। यदि कोई व्यक्ति किसी जरूरतमंद को अन्न और जल का दान देता है तो इससे बढ़कर जीवन में कुछ नहीं है।

द्वादशी तिथि सबसे शुभ

हिंदू पंचांग की बारहवीं तिथि यानी द्वादशी सबसे शुभ मानी जाती है। आचार्य चाणक्य के अनुसार द्वादशी तिथि के दिन श्री हरि विष्णु की आराधना की जाती है और भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता हैं इसलिए उनकी आराधना से सबके कष्ट दूर हो जाते हैं। और इसी कारण द्वादशी तिथि सबसे शुभ मानी जाती है।

गायत्री मंत्र से बढ़कर कोई मंत्र

चाणक्यनीति के अनुसार, गायत्री मंत्र से बढ़कर कोई भी मंत्र नहीं है। आचार्य चाणक्य के अनुसार गायत्री मंत्र के जप से से धन, शक्ति, आयु और कीर्ति की प्राप्ति होती है। यह मंत्र इतना प्रभावशाली है।

मां से बढ़कर संसार में कोई नहीं

आचार्य चाणक्य के अनुसार इस संसार में मां से बढ़कर कोई भी नहीं है। मां का स्थान हर देवता से ऊपर है, वो पूजनीय है, न मां जैसी शक्ति किसी ईश्वर में हैं और न ही किसी देवता में। किसी भी बच्चे के लिए मां पूरा ब्रह्मांड होती है।


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