देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह की डेट को लेकर है कन्फ्यूजन, जानें सही डेट

Update: 2022-11-03 05:43 GMT

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी पड़ती है। जिसके बाद द्वादाशी तिथि को भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के साथ माता तुलसी का विवाह भी किया जाता है। जिसे तुलसी विवाह भी कहा जाता है। इस साल एकादशी तिथि दो दिन पहुंचने के कारण देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह की तारीख को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन है। जानें देवउठनी एकादशी व तुलसी विवाह की सही तारीख-

देवउठनी एकादशी 2022 कब है?

देवउठनी एकादशी इस साल 4 नवंबर 2022 को है।

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देवउठनी एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त-

एकादशी तिथि 03 नवंबर को शाम 07 बजकर 30 मिनट से शुरू होगी, जो कि 04 नवंबर को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी।

देवउठनी एकादशी व्रत पारण का समय-

देवउठनी एकादशी व्रत तोड़ने का शुभ समय 05 नवंबर को सुबह 06 बजकर 36 मिनट से सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक है। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय 05:06 पी एम तक है।

तुलसी विवाह कब है?

इस साल तुलसी विवाह 05 नवंबर 2022 है।

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तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त 2022-

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 05 नवंबर को शाम 06 बजकर 08 मिनट से आरंभ होगी जो कि 06 नवंबर को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

तुलसी विवाह पूजा विधि-

एकादशी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें और व्रत संकल्प लें।

इसके बाद भगवान विष्णु की अराधना करें।

अब भगवान विष्णु के सामने दीप-धूप जलाएं। फिर उन्हें फल, फूल और भोग अर्पित करें।

मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी जरुरी अर्पित करनी चाहिए।

शाम को विष्णु जी की अराधना करते हुए विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।

एकादशी के दिन पूर्व संध्या को व्रती को सिर्फ सात्विक भोजन करना चाहिए।

एकादशी के दिन व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं किया जाता।

एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित है।

एकादशी का व्रत खोलने के बाद ब्राहम्णों को दान-दक्षिणा दें।


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