विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से मिलते है कई लाभ,जानें शुभ मुहूर्त और तिथि

Update: 2024-04-27 03:19 GMT
नई दिल्ली : हर माह दो संकष्टी चतुर्थी व्रत आते हैं, एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान श्री गणेश को समर्पित है और इस दिन विधि-विधान से गजानन का पूजन किया जाता है. वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन भक्त विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश के लिए सच्चे मन से व्रत रखते हैं. इस साल विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत 27 अप्रैल दिन शनिवार को रखा जाएगा. रात में चंद्रमा की पूजन और अर्घ्य देने के बाद ये व्रत पूर्ण माना जाता है. कहा जाता है कि ये व्रत रखने से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और बिगड़े काम बनने लगते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत क्यों रखा जाता है और क्या है इस व्रत का महत्व.
विकट संकष्टी चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त और तिथि
चतुर्थी तिथि की शुरुआत - 27 अप्रैल 2024 को सुबह 8:17 बजे से होगी.
चतुर्थी तिथि समाप्त - 28 अप्रैल 2024 को सुबह 8:21 बजे तक रहेगी.
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का समय रात 10:23 मिनट तक रहेगा.
विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व
कहा जाता है कि सच्चे मन से संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने और गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करने पर सारे दुखों से छुटकारा मिलता है इस व्रत को कोई भी रख सकता है. संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट हरने वाली चतुर्थी तिथि. कहा जाता है कि इस दिन गणपति जी ने देवताओं का संकट दूर किया था.यही वजह है कि इस दिन को सकट चौथ के व्रत के नाम से भी जाना जाता है. तो अगर आप भी अपने जीवन में समस्याओं से घिरे हैं और परेशानियों का अंत करना चाहते हैं, तो इस दिन सच्चे मन से गणेश जी की आराधना करें और व्रत रखें. इस व्रत को रखने से जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है और परेशानियों से छुटकारा मिलता है.
संकष्टी चतुर्थी की पूजन विधि
संकष्टी चतुर्थी की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर नहाएं और साफ वस्त्र धारण करें.
घर के मंदिर में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति या फिर तस्वीर की स्थापना करें.
इसके बाद घी का दीपक जलाएं और गणेश जी को दूर्वा घास अर्पित करें.
गणेश जी को फल फूल चढ़ाएं और मोदक का भोग लगाएं.
फिर गणेश चालीसा पढ़ें और आरती.
इसके साथ ही संकष्टी चतुर्थी की कथा जरूर पढ़ें.
रात में चंद्रदोदय दर्शन करें और चंद्रमा को अर्घ्य जरूर दें.
चंद्रमा दर्शन के बाद ही विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण माना जाता है.
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