शनि की साढ़ेसाती के होते हैं 3 चरण, जानें लक्षण और शनि दोष से बचाव के उपाय

ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है।

Update: 2021-05-02 03:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| तिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। शनिदेव जातक को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। शनि की साढ़े सात साल तक चलने वाली ग्रह दशा शनि की साढ़ेसाती कही जाती है। शनि एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए करीब ढाई साल का समय लेते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दौरान अन्य ग्रहों की तुलना में शनि की चाल धीमी होती है। जिसके कारण शनि का प्रभाव व्यक्ति पर धीरे-धीरे पड़ता है।

शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं। जिसके आधार पर पता लगता है कि व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती दशा चल रही है। शनि का एक चरण ढाई साल का होता है। पहले चरण में शनि जातक को मानसिक तौर पर परेशान करते हैं। यानी इस दौरान जातक को मानसिक तनाव या अचानक सिरदर्द हो सकता है।
शनि अपनी साढ़ेसाती के दूसरे चरण में जातक को आर्थिक रूप से परेशान करते हैं। इस दौरान व्यक्ति को काम में असफलता मिलना, अपनों से धोखा, धन हानि होती है। शनि अपने तीसरे और अंतिम चरण में नुकसान की भरपाई करते हैं। यानी इस दौरान व्यक्ति की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होता है।
शनि की साढ़ेसाती के लक्षण-
ज्योतिषचार्यों के अनुसार, अगर व्यक्ति को एक के बाद एक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। शनिवार के दिन कोई न कोई अप्रिय घटना घटित होने लगती है।
शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय-
शनि की साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को शनिदेव के साथ हनुमान जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस दौरान शिवलिंग की पूजा करने से भी शनि दोष से मुक्ति मिलती है। पीपल पर जल चढ़ाने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनिवार और अमावस्या के दिन तेल का दान करने से शनिदेव के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलने की मान्यता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हर दिन शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। कहा जाता है कि शनिवार के जिन लोहे के बर्तन, काला कपड़ा, सरसों तेल, काली दाल, काले चने और काले तिल दान करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।


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