सुख-समृद्धि के लिए खास है पूजा स्थान, पूजा-पाठ करने से बढ़ता है आत्मविश्वास
मान्यताओं के अनुसार पूजा करने से आत्मविश्वास बढ़ता है. गलत जगह पर पूजा स्थान होने से पूजा में अनेक प्रकार की परेशानियां आती हैं. साथ ही घर परिवार में सदस्यों का आपसी विवाद होता रहता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मन को एकाग्र करने के लिए पूजा-पाठ का जीवन में खास महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा-पाठ करने से आत्मविश्वास बढ़ता है. पूजा के दौरान यदि एकाग्रता न रहे तो इसे करने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है. आमतौर पर पूजा के दौरान सबका मन भटकता है. लेकिन अगर पूजा की अवधि में बेकार के विचार आते रहते हैं तो इसका कारण पूजा स्थान हो सकता है. दरअसल गलत जगह पर पूजा स्थान होने से पूजा में अनेक प्रकार की परेशानियां आती हैं. जानते हैं कि गलत जगह पर पूजा स्थान होने से कौन-कौन सी परेशानियां आतीं है. साथ ही घर में पूजा स्थान कहां होना चाहिए.
पूजा के लिए ईशान कोण है शुभ
घर का पूजा स्थान बेहद खास होता है. इसके लिए खास जगह का होना बहुत अधिक आवश्यक है. पूजा स्थान के लिए ईशान कोण सबसे अच्छा होता है. ईशान कोण पूरब और उत्तर के कोना को कहते हैं. वास्तु शास्त्र के मुताबिक भी यह स्थान पूजा के लिए शुभ है. इस कोण का देवता बृहस्पति है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक इस कोण में ब्रह्मा का वास होता है. मनुष्य के भाग्य विधाता ब्रह्मा ही हैं. सही दिशा में पूजा स्थल को होने से घर में रहने वालों के संस्कार अच्छे होते हैं. साथ ही सुख-समृद्धि बढ़ती है. वहीं अगर पूजा का स्थान सही नहीं है तो घर के लोंगो का मानसिक तनाव बढ़ता है.
पूजा स्थान कहां होना है शुभ
घर का पूजा स्थान ईशान कोण (उत्तर-पूरब का कोना) में होन शुभ है. यह कमरा सबसे अलग और एकांत में हो तो और भी अच्छा है. पूजा मंदिर या भगवान की तस्वीर की से ऊपर आसन नहीं होना चाहिए. पूजा घर में पूर्वजों की तस्वीर लगाना अशुभ माना गया है. पूजा स्थल पर मूर्तियां इस तरह से रखनी चाहिए कि भगवान का मुंह आमने सामने न हो. पूजा मंदिर सीढ़ियों के नीचे नहीं बनाना चाहिए. इसके अलावा बेडरूम में पूजा स्थान नहीं होना चाहिए. यदि जगह का अभाव हो तो पर्दा लगाना चाहिए.