कौवा जन्‍म से काला नहीं था, जाने एक गलती से बदल गया उसका रंग और हो गया अशुभ

कौवे को आमतौर पर अशुभ माना जाता है. इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. लेकिन कौवा काला नहीं सफेद था, उसके पीछे भी कथाओं में एक श्राप को वजह बताया गया है.

Update: 2021-12-17 02:40 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कौवे और काले रंग एक तरह से एक-दूसरे के पर्याय माने गए हैं लेकिन ये जानकर आपको आश्‍चर्य होगा कि कौवा हमेशा से काला नहीं था. जी हां, ये बात सच है और कई बार सफेद रंग के कौए देखे भी गए हैं. इसके पीछे पक्षी विज्ञानियों ने कारण भी बताए हैं. लेकिन धर्म-शास्‍त्रों की नजर से देखें तो इसके पीछे की वजह कौए को मिला एक श्राप है.

कौए को भेजा था अमृत ढूंढने
पितृ पक्ष के 15 दिनों को छोड़ दें तो साल के बाकी समय में कौए को आमतौर पर अशुभ माना जाता है. इसके पीछे भी धार्मिक और ज्‍योतिषीय कारण हैं. यदि कौए को काले होने का श्राप मिलने की बात करें तो पौराणिक कथा के मुताबिक कौवा सफेद ही होता था. एक बार एक ऋषि ने सफेद कौवे को अमृत ढूंढ कर लाने के लिए भेजा. साथ ही ताकीद की कि वह गलती से भी अमृतपान न करे. ऋषि के आदेश से कई साल तक कौवा अमृत खोजता रहा और जैसे ही उसे अमृत मिला वह खुद को अमृत चखने से रोक नहीं सका. इसके बाद बाकी अमृत लेकर वह ऋषि के पास पहुंचा.
नाराज ऋषि ने दे दिया काले होने का श्राम
अमृत लेकर ऋषि के पास पहुंचे कौवे ने अमृत चखने की बात ऋषि को बता दी. लेकिन वे यह सुनते ही नाराज हो गए और उसे अशुभ होने का श्राप दे दिया. उन्‍होंने उस पर काले कमंडल का पानी छिड़कते हुए कहा कि अब से लोग कौवे से घृणा करेंगे और उसे अशुभ मानेंगे. बस कमंडल का पानी पड़ते ही कौवा काला पड़ गया और तब से ही वह अशुभ भी माना जाने लगा.


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