सोम प्रदोष व्रत पर बन रहा है खास संयोग, इस दिन की जाती है भगवान शिव की पूजा
इस बार सोम प्रदोष व्रत पर 3 शुभ संयोग बन रहे हैं. इसके अलावा इस दिन सोम प्रदोष व्रत कथा सुनने से व्रत का पूरा फल मिलता है. आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत की कथा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Som Pradosh Vrat 2022: शास्त्रों में प्रदोष व्रत को बेहद खास माना गया है. प्रदोष व्रत से सभी प्रकार के सुख की कामना पूरी होती है. माह में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है. माघ शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 14 फरवरी, सोमवार के दिन है. सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस बार सोम प्रदोष व्रत पर 3 शुभ संयोग बन रहे हैं. इसके अलावा इस दिन सोम प्रदोष व्रत कथा सुनने से व्रत का पूरा फल मिलता है. आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत की कथा.
सोम प्रदोष व्रत कथा (Som Pradosh Vrat Katha)
सोम प्रदोष व्रत कथा के अनुसार किसी नगर में विधवा गरीब ब्रह्मणी रहती थी. वह भिक्षा मांगकर अपना और बेटे का गुजर बसर करती थी. सुबह होते ही वह भिक्षाटन के लिए निकल जाती थी. इसी क्रम में एक दिन वह भिक्षा मांगकर घर जा रही थी. रास्ते में उसे एक लड़का घायल अवस्था में दिखाई दिया. ब्राह्मणी उस घायल लड़के को अपने साथ घर लेकर आ गई. बाद में उसे पता चला कि वह लड़का राजकुमार है. उसने बताया कि उसके राज्य पर शत्रुओं का हमला हुआ था, जिसमें वह घायल हो गया और उसके पिता बंदी बना लिए गए.
राजकुमार ब्राह्मणी के घर में रहने लगा. इस क्रम में एक दिन एक गंधर्व कन्या अंशुमति ने राजकुमार को देखा तो उस पर मोहित हो गई. जिसके बाद उसने राजकुमार से विवाह करने की बाद अपने पिता से बताई. जिसके बाद राजा और रानी भी उस राजकुमार से मिले. वे राजकुमार से मिलकर बहुत खुश हुए. एक दिन भगवान शिव ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए. जिसमें भगवान शिव ने राजकुमारी का विवाह राजकुमार से करने का आदेश दिया. जिसके बाद राजा ने अपनी बेटी अंशुमती का विवाह राजकुमार से संपन्न करवाया. वह विधवा ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी. प्रदोष व्रत के पुण्य के प्रभाव से राजकुमार ने अपने राज्य पर नियंत्रण कर लिया. फिर राजकुमार उस राज्य का राजा बना और उसने ब्रह्मणी के बेटे को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया. इस प्रकार उस ब्राह्णी के व्रत के प्रभाव से उनकी गरीबी दूर हुई और वे सुखपूर्वक रहने लगे.