Somvati Amavasya 2024 Vrat katha: सोमवती अमावस्या के दिन पढ़ें ये व्रत कथा

Update: 2024-09-02 01:50 GMT
Somvati Amavasya 2024 Vrat katha: सोमवती अमावस्या का व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए अधिक महत्व रखता है. इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
द्रिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का 02 सितंबर दिन सोमवार को सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 03 सितंबर को सुबह 07 बजकर 54 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, सोमवती अमावस्या का व्रत 02 सितंबर दिन सोमवार को रखा जाएगा.
सोमवती अमावस्या के दिन पूजा के समय इस व्रत कथा के सुनने या पढ़ने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कुवांरी कन्याओं को मनचाहा वर पाने का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
सोमवती अमावस्या व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार था, उस परिवार में पति-पत्नी एवं उसकी एक पुत्री भी थी. उनकी पुत्री समय के गुजरने के साथ-साथ धीरे-धीरे बड़ी होने लगी. उस पुत्री में बढ़ती उम्र के साथ सभी स्त्रियोचित सगुणों का विकास हो रहा था. वह कन्या सुंदर, संस्कारवान एवं गुणवान थी, परंतु गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था. एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक साधु महाराज पधारें. साधु उस कन्या के सेवाभाव से अत्यधिक प्रसन्न हुए. कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद देते हुए साधु ने कहा कि इस कन्या के हाथ में विवाह योग्य रेखा नहीं है.
ब्राह्मण साधु ने बताया उपाय
तब ब्राह्मण दम्पति ने साधु से इसका उपाय पूछा, कन्या ऐसा क्या करें कि उसके हाथ में विवाह योग बन जाए. साधु महाराज ने कुछ देर विचार करने के बाद अपनी अंतर्दृष्टि में ध्यान करके बताया कि कुछ ही दूरी पर एक गांव में सोना नाम की एक धोबिन महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो बहुत ही आचार-विचार एवं संस्कार संपन्न तथा पति परायण है. यदि यह सुकन्या उस धोबिन की सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दे, तथा उसके बाद इस कन्या का विवाह हो जाए, तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है. साधु ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं बाहर आती-जाती नहीं है.
मां ने बेटी से रखा ये प्रस्ताव
यह बात सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी से धोबिन की सेवा करने का प्रस्ताव रखा. अगले दिन से ही कन्या सुबह ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, साफ-सफाई एवं अन्य सारे कार्य करके अपने घर वापस आने लगी. एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि तुम तो सुबह ही उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता. बहू ने कहा कि मां मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम खुद ही खत्म कर लेती हैं. मैं तो देर से उठती हूं. यह सब जानकार दोनों सास-बहू घर की निगरानी करने लगी कि कौन है जो सुबह ही घर का सारा काम करके चला जाता है.
कन्या से पूछा ये कारण
कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक कन्या मुंह ढके अंधेरे में घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है. जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं? तब कन्या ने साधु द्बारा कही गई सारी बात बताई. सोना धोबिन पति परायण थी, अतः उसमें तेज था. वह तैयार हो गई, सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे. उसने अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा था.
कन्या की मांग में लगाया सिंदूर
सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर उस कन्या की मांग में लगाया, सोना धोबिन का पति मर गया. उसे इस बात का पता चल गया. वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर कि रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी. उस दिन सोमवती अमावस्या थी. ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया. ऐसा करते ही उसके पति के मृत शरीर में वापस जान आ गई. धोबिन का पति फिर से जीवित हो उठा. तभी से इस कथा के बिना सोमवती अमावस्या की पूजा अधूरी मानी जाती है.
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