जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिंदी पंचांग के अनुसार कल, 04 सितंबर को भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत है। इस दिन शनिवार होने के कारण शनि प्रदोष का संयोग पड़ रहा है। प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती का पूजन करने का विधान है। कल शनि प्रदोष का संयोग होने के कारण इस दिन भगवान शिव, पार्वती के साथ शनि देव का पूजन करने से शनिदोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन शनिदेव का विशेष पूजन करने से शनि देव की साढ़े साती और ढैय्या के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है.....
शनि प्रदोष व्रत का मुहूर्त
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 04 सितंबर को प्रात: 08 बजकर 24 मिनट से हो रहा है। इसका समापन अगले दिन 05 सितंबर को सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत और पूजा का मुहूर्त शनिवार को प्राप्त हो रहा है, इसलिए शनि प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। शनि प्रदोष की पूजा का मुहूर्त शाम को 06 बजकर 39 मिनट से रात 08 बजकर 56 मिनट के बीच है।
शनि प्रदोष से मुक्ति के उपाय
शनि प्रदोष के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और पार्वती का पूजन करने से संतान प्राप्ति का वरदान तथा शनि दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन विधि पूर्वक भगवान शिव और पार्वती का व्रत रखते हुए, सांय काल में पूजन करना चाहिए। भगवान शिव को बेल पत्र,धतूरा, मदार,भांग तथा दूध,दही,घी और शहद अर्पित किया जाता है। माता पार्वती को सिंदूर,बिंदी,चूड़ी तथा सुहाग का समान चढ़ाना चाहिए। इस दिन शनि देव की साढ़े साती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव को सरसों का तेल और काला तिल अर्पित करें। पीपल के पेड़ पास सरसों का तेल का दिया जला कर शनिदेव के "ॐ शं शनैश्चराय नम:" मंत्र का जाप करना चाहिए।
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