आज हम आपको उन्हीं के बारे में बताने आ रहे हैं जिनसे शनिदेव डरते है।
पीपल से भय खाते हैं शनिदेव
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव को पीपल से भी डर लगता है। इसलिए शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि जो पिप्लाद मुनि का नाम जपेगा और पीपल की पूजा करेगा, उस पर शनिदशा का अधिक प्रभाव नहीं होगा।
शिव से डरते हैं शनि
पिता सूर्यदेव के कहने पर शनिदेव को बचपन में एक बार सबक सिखाने के लिए शिवजी ने उन पर प्रहार किया था। शनिदेव इससे बेहोश हो गए तो पिता के विनती करने पर शिवजी ने वापस उन्हें सही किया। तब से मान्यता है कि शनिदेव शिवजी को अपना गुरु मानकर उनसे डरने लगे हैं।
पत्नी से भी डरते हैं शनिदेव
शनि महाराज अपनी पत्नी से भय खाते हैं। इसलिए ज्योतिषशास्त्र में शनि की दशा में शनि पत्नी का नाम मंत्र जपना भी शनि का एक उपाय माना गया है। इसकी कथा यह है कि एक समय शनि पत्नी ऋतु स्नान करके शनि महाराज के पास आई। लेकिन अपने ईष्ट देव श्रीकृष्ण के ध्यान में लीन शनि महाराज ने पत्नी की ओर नहीं देखा। क्रोधित होकर पत्नी ने शाप दे दिया था।
हनुमानजी से डरते हैं शनिदेव
माना जाता है कि शनिदेव पवनपुत्र हनुमानजी से भी बहुत डरते हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि हनुमानजी के दर्शन और उनकी भक्ति करने से शनि के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं। जो लोग हनुमानजी की नियमित रूप से पूजा करते हैं, उन पर शनि की ग्रहदशा का खास प्रभाव नहीं पड़ता है।
कृष्णजी से डरते हैं शनिदेव
अच्छे अच्छों को अपनी लीला से सबक सिखाने वाले भगवान श्रीकृष्ण को शनिदेव का इष्ट माना जाता है। मान्यता है कि अपने इष्ट का एक दर्शन पाने को शनिदेव ने कोकिला वन में तपस्या की थी। शनिदेव के कठोर तप से प्रसन्न होकर श्रीकृष्णजी ने कोयल के रूप में दर्शन दिए। तब शनिदेव ने कहा था कि वह अब से कृष्णजी के भक्तों को परेशान नहीं करेंगे।