सूर्य-शनि के गोचर से बन रहा समसप्तक योग, इन 4 राशि वालों को 17 अगस्त तक सतर्क रहने की जरूरत, इन उपायों से कम होंगे कष्ट

वैदिक ज्यतिष शास्त्र में सूर्य व शनि ग्रह का विशेष महत्व है। सूर्य को साहस, ऊर्जा व पराक्रम का कारक माना गया है, वहीं शनिदेव को ग्रहों का न्यायाधीश कहा जाता है।

Update: 2022-07-22 01:58 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैदिक ज्यतिष शास्त्र में सूर्य व शनि ग्रह का विशेष महत्व है। सूर्य को साहस, ऊर्जा व पराक्रम का कारक माना गया है, वहीं शनिदेव को ग्रहों का न्यायाधीश कहा जाता है। वर्तमान में सूर्य व शनि के आमने-सामने होने से समसप्तक योग का निर्माण हो रहा है। सूर्य ने 16 जुलाई को कर्क राशि में प्रवेश किया था। जबकि शनि वर्तमान मे वक्री अवस्था में मकर राशि में विराजमान हैं।

इन राशियों पर अशुभ प्रभाव-
सूर्य व शनि के पिता-पुत्र का संबंध है। ये दोनों ग्रह एक-दूसरे के सातवें भाव में विराजमान हो चुके हैं। ऐसे में कुछ राशियों पर समसप्तक योग का अशुभ प्रभाव पड़ रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, मिथुन, सिंह, धनु और कुंभ राशि वालों पर समसप्तक योग का अशुभ प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस दौरान बनते काम बिगड़ सकते हैं। वाद-विवाद बढ़ सकते हैं। निवेश में नुकसान हो सकता है। ऐसे में इन 4 राशि वालों को 17 अगस्त तक सतर्क रहने की जरूरत है।
सावन मास में इन उपायों से कम होंगे कष्ट-
सावन मास भगवान शिव को समर्पित माना गया है। इस महीने में कुछ खास उपायों से सूर्य-शनि के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। सावन मास में शनिवार के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक व शनि पूजा करना लाभकारी होता है। सावन मास में प्रदोष व्रत रखने व पूजा करने से अशुभ प्रभाव कम होता है। सावन मास में पहला प्रदोष व्रत 25 जुलाई और दूसरा 8 अगस्त को पड़ेगा।
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