पुत्र प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत के दिन पढ़ें यह कथा
पौष मास (Paush Month) के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi) कल है
पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि कल है. ऐसे में प्रदोष व्रत कल रखा जाएगा. यह शनि प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की प्रदोष मुहूर्त में विधिपूर्वक पूजा अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है. जो लोग शनि प्रदोष व्रत रखते हैं, उनको शिव पूजा के समय शनि प्रदोष व्रत की कथा जरूर सुननी चाहिए. इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की कथा के बारे में.
शनि प्रदोष व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है. एक नगर में प्रसिद्ध व्यापारी था. उसके घर में सभी प्रकार की सुख और सुविधाएं थीं. नौकर चाकर काम करते थे. उसके दरवाजे पर जो भी मदद के लिए सहायता मांगता था, वह कभी खाली हाथ वापस नहीं जाता था. उसका परोपकारी स्वभाव उसकी लोकप्रियता का कारण था.
हालांकि वह व्यापारी और उसकी पत्नी दुखी रहते थे क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी. वे हर प्रकार के प्रयास कर लिए थे, लेकिन उनको संतान नहीं हुई. इससे निराश होकर एक दिन व्यापारी और उसकी पत्नी तीर्थ यात्रा के लिए निकल पड़े.
वे अभी नगर के बाहर ही गए थे, तभी रास्ते उनको एक विशाल पेड़ के नीचे एक तेजस्वी साधु ध्यानमग्न दिखाई दिए. वे दोनों पति पत्नी वहां गए और उनके सामने हाथ जोड़कर उनके दर्शन एवं आशीष के लिए बैठ गए. कुछ समय बीतने के बाद साधु ध्यान अवस्था से बाहर आए तो देखा कि व्यापारी और उसकी पत्नी बैठे हुए हैं.
साधु ने उन दोनों से कहा कि वह उसके दुख से परिचित हैं. तुम संतान न होने के कारण परेशान और चिंतित रहते हो. इसका एक ही उपाय है. तुम दोनों शनि प्रदोष व्रत विधि विधान से करो. तुम्हें शिव कृपा से संतान प्राप्त होगी. साधु ने व्रत विधि भी बताई.
व्यापारी और उसकी पत्नी खुश होकर उस साधु को प्रणाम किया और तीर्थयात्रा पर चले गए. लौट कर आने के बाद शनि प्रदोष व्रत के दिन विधि विधान से शिव पूजा की और व्रत के नियमों का पालन किया. व्रत के प्रभाव से उनके घर एक सुंदर बालक ने जन्म लिया. इस प्रकार शनि प्रदोष व्रत करने से उनका जीवन खुशियों से भर गया.