Parivartini Ekadashi पर पढ़ें ये आरती, पूजा का मिलेगा पूर्ण फल

Update: 2024-09-14 09:47 GMT
Parivartini Ekadashi ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन एकादशी व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह के दोनों पक्षों में मनाया जाता है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने का विधान होता है यह तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होती है
 इस दिन पूजा पाठ और व्रत करना लाभकारी माना जाता है पंचांग के अनुसार अभी भाद्रपद माह चल रहा है और इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा है जो कि आज यानी 14 सितंबर दिन शनिवार को मनाई जा रही है इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के समय अगर एकादशी माता की आरती पढ़ी जाए तो भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एकादशी
माता की आरती।

 एकादशी माता की आरती—
ओम जय एकादशी माता, मैया जय जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ओम जय एकादशी माता।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ओम।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ओम।।
पौष के कृष्ण पक्ष की, सफला नामक है,
शुक्ल पक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ओम ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ओम ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ओम ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ओम ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ओम ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
 देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ओम ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ओम ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ओम ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ओम ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ओम ।।
परमा कृष्ण पक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्रय हरनी ।। ओम ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ओम ।।
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