ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार पड़ता है यह तिथि भगवान शिव की साधना आराधना को समर्पित होती है इस दिन भोलेनाथ की पूजा का विधान होता है मान्यता है कि इस शुभ दिन पर शिव की साधना करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है और सुख समृद्धि आती है।
पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है इस बार ज्येष्ठ माह का दूसरा प्रदोष व्रत 19 जून को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने से जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और जीवन में आने वाले सभी दुख दर्द का अंत होता है। इस दिन शिव पूजा विधि विधान से करना उत्तम माना जाता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पूजा की संपूर्ण विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
प्रदोष पूजन विधि—
आपको बता दें कि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करें और शिव जी की विधिवत पूजा करें। इसके बाद शाम के समय प्रदोष काल में चौकी पर साफ वस्त्र बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें इसके बाद शिव को शमी पुष्प, धतूरा और बेलपत्र अर्पित करें।
अब शिव को पुष्पमाला चढ़ाएं और माता पार्वती का श्रृंगार करें प्रदोष व्रत के दिन शिव, पार्वती के साथ भगवान श्री गणेश की पूजा भी करें। अंत में आरती करके शिव को दही, फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में प्रदोष व्रत की कथा सुनें और भूल चूक के लिए भगवान से क्षमा जरूर मांग लें।