जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Firoza Gemstone Benefits: रत्न शास्त्र में 12 राशियों के आधार पर अलग-अलग रत्न के बारे में बताया गया है. हर रत्न का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है. उस ग्रह के शुभ प्रभावों को बढ़ाने और अशुभ फलों को कम करने के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. कहते हैं कि रत्न हमेशा ज्योतिषीयों की सलाह से ही धारण करना चाहिए. कुंडली के आधार पर रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. आज हम फिरोजा रत्न के बारे में जानेंगे.
फिरोजा रत्न को रत्न शास्त्र में बहुत प्रभावशाली माना गया है. ये रत्न बहुत कम लोग ही धारण करते है. ये देवगुरु बृहस्पति का रत्न है. फिरोजा धारण करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है. आइए जानें कौन से लोग धारण कर सकते हैं और इसे धारण करने का सही तरीका.
ये राशि के जातक कर सकते हैं धारण
फिरोजा रत्न को इंग्लिथ में टरक्वाइश कहा जाता है. ये गहरे नीले रंग का होता है. इसे धनु और मीन राशि के जातकों को धारण करने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये दोनों ही राशि का स्वामी बृहस्पित देव हैं. कुंडली में उच्च के बृहसप्ति होने पर ही इसे धारण किया जा सकता है. वहीं, मेष, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि के जातक भी इसो पहन सकते हैं. फिरोजा धारण करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसके साथ हीरा भूलकर भी धारण न करें. ऐसा माना जाता है कि गुरु बृहस्पति और शुक्र ग्रह में शत्रुता का भाव है.
फिरोजा धारण करने के लाभ
इसे धारण करने से व्यक्ति को प्रेम और करियर में सफलता मिलती है. वहीं, वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां भी दूर होती हैं. फिरोजा रत्न फिल्मी कलाकार, पेशे से आर्किटेक्चर, चिकित्सक और इंजीनियर आदि को धारण करने की सलाह दी जाती है. इसे धारण करने से व्यक्ति की लोकप्रियता और मित्रता दोनों में ही बढ़ोत्तरी होती है. बौद्धिक क्षमता का विकास के लिए भी इसे पहना जाता है. साथ ही, इसे पहनने से आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होती है.
फिरोजा धारण करने की विधि-
फिरोजा धारण करने वाले जातक ध्यान दें कि इसे शुक्रवार, गुरुवार या फिर शनिवार के दिन पहन सकते हैं. इसे पहनने का शुभ समय 6 बजे से 8 बजे तक है. इसे चांदी या तांबा किसी भी रत्न में धारण किया जा सकता है. धारण करने से एक रात पहले दूध, शहद, मिश्री और गंगाजल के घोल में डाल दें. अगले दिन स्नान करने के बाद पूजा करें और फिर इस रत्न को धारण करें. फिरोजा पहनने के बाद गुरु बृहस्पति के लिए दान निकालें और किसी मंदिर के पुजारी को चरण स्पर्श करते हुए दें.