भगवान कार्तिकेय का वाहन है मोर, जानें पौराणिक कथा
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान मुरुगन या कहें कार्तिकेय का वाहन मोर है।
कार्तिकेय का वाहन मयूर : मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यह पक्षी जितना राष्ट्रीय महत्व रखता है उतना ही धार्मिक महत्व भी, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान मुरुगन या कहें कार्तिकेय का वाहन मोर है।
एक मान्यता अनुसार अरब में रह रहे यजीदी समुदाय (कुर्द धर्म) के लोग हिन्दू ही हैं और उनके देवता कार्तिकेय है जो मयूर पर सवार हैं। भारत में दक्षिण भारत में कार्तिकेय की अधिक पूजा होती है। कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है, जो शिव के बड़े पुत्र हैं।
कार्तिकेय का वाहन मयूर है। एक कथा के अनुसार कार्तिकेय को यह वाहन भगवान विष्णु ने उनकी सादक क्षमता को देखकर ही भेंट किया था। मयूर का मान चंचल होता है। चंचल मन को साधना बड़ा ही मुश्किल होता है। कार्तिकेय ने अपने मन को साथ रखा था। वहीं एक अन्य कथा में इसे दंभ के नाशक के तौर पर कार्तिकेय के साथ बताया गया है।
संस्कृत भाषा में लिखे गए 'स्कंद पुराण' के तमिल संस्करण 'कांडा पुराणम' में उल्लेख है कि देवासुर संग्राम में भगवान शिव के पुत्र मुरुगन (कार्तिकेय) ने दानव तारक और उसके दो भाइयों सिंहामुखम एवं सुरापदम्न को पराजित किया था।
अपनी पराजय पर सिंहामुखम माफी मांगी तो मुरुगन ने उसे एक शेर में बदल दिया और अपना माता दुर्गा के वाहन के रूप में सेवा करने का आदेश दिया।
दूसरी ओर मुरुगन से लड़ते हुए सपापदम्न (सुरपदम) एक पहाड़ का रूप ले लेता है। मुरुगन अपने भाले से पहाड़ को दो हिस्सों में तोड़ देते हैं। पहाड़ का एक हिस्सा मोर बन जाता है जो मुरुगन का वाहन बनता है जबकि दूसरा हिस्सा मुर्गा बन जाता है जो कि उनके झंडे पर मुरुगन का प्रतीक बन जाता है। इस प्रकार, यह पौराणिक कथा बताती है कि मां दुर्गा और उनके बेटे मुरुगन के वाहन वास्तव में दानव हैं जिन पर कब्जा कर लिया गया है। इस तरह वो ईश्वर से माफी मिलने के बाद उनके सेवक बन गए।