भारत में इस दिन मनाया जाएगा पारसी नववर्ष, जानिए कैसे मनाया जाता है ये पर्व

Update: 2023-08-15 15:24 GMT
धर्म अध्यात्म: पारसी नव वर्ष को नवरोज उत्सव भी कहा जाता है। नवरोज दो पारसी शब्दों नव और रोज से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है- नया दिन। अर्थात नवरोज के त्योहार के साथ पारसी समुदाय के नए साल की शुरुआत होती है। भारत में नवरोज 16 अगस्त को मनाया जाएगा।
इसी दिन क्यों मनाया जाता है
जिस तरह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, दुनियाभर में नया साल 1 जनवरी को मनाया जाता है और हिंदू धर्म में चैत्र माह से नए साल की शुरुआत होती है, ठीक उसी प्रकार पारसी कैलेंडर के अनुसार, नवरोज 16 अगस्त को मनाया जाता है। नवरोज को जमशेदी नवरोज के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि क्योंकि पारसी कैलेंडर में सौर गणना की शुरुआत करने वाले महान फारसी राजा का नाम जमशेद था।
कई स्थानों पर यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है जो 16 अगस्त और 21 मार्च को को छमाही और वार्षिक के तौर पर मनाया जाता है। दुनियाभर में पारसी समुदाय के लोग यह पर्व पारसी पंचांग के पहले महीने के पहले दिन यानी 21 मार्च को मनाते हैं। जबकि भारत में पारसी लोग शहंशाही पंचांग का अनुसरण करते हैं। इसलिए भारत में यह उत्सव 16 अगस्त को मनाया जाता है।
कैसे मनाया जाता है पारसी न्यू ईयर
पारसी नववर्ष के इस शुभ अवसर पर लोग सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करते हैं। पूरे घर को खासकर मुख्य द्वार को विशेष रूप से सजाया जाता है। इसके बाद घर को सुगंधित करने के लिए अगरबत्ती या लोबान जलाया जाता है।
इस दिन घरों में तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं और अपने दोस्तों और करीबियों को बांटते है। इसके साथ ही पारसी लोगों में एक-दूसरे को गिफ्ट्स देते का भी चलन है। माना जाता है कि नवरोज के दिन उपहार देने के साथ राजा जमशेद की पूजा करने से घर में हमेशा खुशहाली बनी रहती है।
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