19 जून 2022 का पंचांग: रविवार को बनेगा मातंग और राक्षस योग, यह होगा अभिजीत मुहूर्त का समय
प्रत्येक महीने की अंतिम दिन पूर्णिमा होती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उज्जैन. हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने की अंतिम दिन पूर्णिमा होती है, लेकिन उत्तर और दक्षिण के ज्योतिषियों में मतांतर होने के कारण कुछ स्थानों पर अमावस्या को महीने की अंतिम दिन माना जाता है। यही कारण है कि उत्तर व दक्षिण के पंचांगों में काफी विषमताएं देखने को मिलती है। पंचांग में हर वो जरूर जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जो आमजन के लिए जरूरी होती है। जरूरत है तो उस उसे समझने की। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचांग 5 अंगों (तिथि, वार, करण, नक्षत्र और योग) से मिलकर बना होता है, इसलिए इसे पंचांग कहते हैं। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…
सूर्य से शुभ फल पाने के लिए करें रविवार का व्रत
हिंदू धर्म में प्रत्येक वार का एक स्वामी ग्रह बताया गया है। उसी के अनुसार, रविवार के स्वामी ग्रह सूर्य देवता हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य प्रतिकूल स्थिति में हो तो उसे अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस परेशानियों से बचने के लिए रविवार का व्रत करना एक आसान व अचूक उपाय है। प्रत्येक रविवार को सूर्यदेव की पूजा कर अलोन (बिना नमक) का व्रत करना चाहिए। इससे सूर्य से संबंधित शुभ फल मिलने लगते हैं।
19 जून का पंचांग (Aaj Ka Panchang 19 June 2022)
19 जून 2022, दिन रविवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी और षष्ठी तिथि का योग बन रहा है। इस दिन सूर्योदय धनिष्ठा नक्षत्र में होगा, जो सुबह 11.36 तक रहेगा। इसके बाद शतभिषा नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। रविवार को पहले धनिष्ठा नक्षत्र होने से मातंग नाम का शुभ योग और उसके बाद शतभिषा नक्षत्र होने से राक्षस नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन राहुकाल शाम 5:30 7:11 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
रविवार चंद्रमा कुंभ में, सूर्य मिथुन राशि में, बुध और शुक्र वृषभ राशि में, राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल व गुरु मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। रविवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दलिया, घी या पान खाकर ही घर से निकलें।
19 जून के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आषाढ़
पक्ष- कृष्ण
दिन- रविवार
ऋतु- ग्रीष्म
नक्षत्र- धनिष्ठा और शतभिषा
करण- गर और वणिज
सूर्योदय - 5:45 AM
सूर्यास्त - 7:10 PM
चन्द्रोदय - Jun 19 11:54 PM
चन्द्रास्त - Jun 20 11:40 AM
अभिजीत मुहूर्त - 12:01 PM से 12:55 PM
19 जून का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 12:28 PM – 2:08 PM
कुलिक - 3:49 PM – 5:30 PM
दुर्मुहूर्त - 05:23 PM – 06:17 PM
वर्ज्यम् - 11:12 AM – 12:47 PM
धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी है मंगल और देवता वसु
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आकाश मंडल में कुल 27 नक्षत्र है। इन सभी का स्थान और चिह्न भिन्न-भिन्न है। आकाश मंडल में स्थित 27 नक्षत्रों में से धनिष्ठा 23वें स्थान पर आता है। यह नक्षत्र चार तारों से मिलकर बना हुआ है। इसकी आकृति मृदंग के समान दिखाई देती है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल और और देवता वसु हैं। इस नक्षत्र में जन्मे लोग बहुमुखी प्रतिभा और बुद्धि के धनी होते हैं। ये जिस भी क्षेत्र में काम करते हैं, अपना अलग मुकाम बना लेते हैं। ये अच्छे शिक्षाविद और व्यवस्थापक भी होते हैं। ये मृदुभाषी और सभी को अपनी ओर आकर्षित करने वाले होते हैं।