इस दिन वर्ष 2020 का आखिरी सूर्य ग्रहण, जानें ये पौराणिक कथा

इस वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर यानी कल है। सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है।

Update: 2020-12-13 02:38 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक| इस वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर यानी कल है। सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब देवों और दानवों के बीच अमृत पान को लेकर विवाद या युद्ध चल रहा था। तब विष्णु जी ने इस समस्या को सुलझाने के लिए उपाय निकाला। उन्होंने मोहनी एकादशी के दिन मोहिनी रूप धारण किया। यह रूप धारण कर विष्णु जी ने सभी देवताओं और असुरों को अलग-अलग बिठा दिया।

लेकिन असुरों की प्रवृत्ति ही छल वाली होती है ऐसे में एक असुर छल कर देवताओं की लाइन में आकर बैठ गया। वह इस पंक्ति में सबसे आगे बैठा था। वह सबसे पहले अमृत पान करना चाहता था। देवों की पंक्ति में चंद्रमा और सूर्य बैठे थे। उन्होंने उस असुर को ऐसा करते देख लिया। इस बात की जानकारी चंद्रमा और सूर्य ने भगवान विष्णु को दी। यह सुन भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन धड़ अलग करने से पहले ही उसने अमृत पान कर लिया था। इसके चलते उसकी मृत्यु नहीं हुई।
उस असुर का सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु के नाम से जाना गया। इसके बाद से ही राहु और केतु ने सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मान लिया। फिर वह पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को और अमावस्या के दिन सूर्य को खाने की कोशिश करते हैं। जब वह सफल नहीं हो पाते हैं तो इसे ग्रहण कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, राहु और केतु के कारण ही चंद्रग्रहण और सूर्य ग्रहण की घटना घटती है।


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