Pradosh Vrat ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन शिव साधना आराधना को समर्पित प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार पड़ता है इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना का विधान होता है ऐसे में भक्त प्रदोष व्रत के दिन उपवास आदि रखते हुए शिव भक्ति में लीन रहते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है और इस माह के कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत आज यानी 3 जुलाई दिन बुधवार को किया जा रहा है बुधवार के दिन प्रदोष पड़ने के कारण ही इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा है
मान्यता है कि त्रयोदशी के दिन शिव और माता पार्वती की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने से जातक को मानसिक और शारीरिक कष्टों से राहत मिल जाती है और शिव कृपा बरसती है ऐसे में आज भगवान शिव की पूजा के दौरान उनकी आरती जरूर पढ़ें माना जाता है कि शिव आरती करने से भगवान भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों के दुख संकट हर लेते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शिव आरती।
यहां पढ़ें भगवान शिव की आरती—
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥