Navratri 2024: कलश स्थापना के दौरान की गई ये गलती, परिवार पर आ सकती है संकट

Update: 2024-10-03 08:58 GMT
Navratri ज्योतिष न्यूज़  : हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन नवरात्रि को बहुत ही खास माना गया है। आश्विन माह में पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जो कि आज यानी 3 अक्टूबर दिन गुरुवार से आरंभ हो चुकी है और इसका समापन 11 अक्टूबर को हो जाएगा। नवरात्रि का प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना को समर्पित होता है।
इस दिन भक्त देवी साधना में लीन रहते हैं इसी के साथ ही नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना भी की जाती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा कलश स्थापना की विधि बता रहे हैं साथ ही यह भी बताएंगे कि नवरात्रि पर कलश स्थापना के समय कौन सा कार्य है जिसे भूलकर भी नहीं करना चाहिए वरना पति की नौकरी और आय पर संकट बना रहता है।
 कलश स्थापना की सरल विधि—
नवरात्रि में पहले दिन कलश स्थापना का विधान होता है ऐसे में इस दिन कलश स्थापना के समय पूजा घर को गंगाजल से पवित्र करें। फिर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें अब बालू में पानी डालें और जौ को रख दें। कलश स्थापना करने से पहले घट की पूर्व या उत्तर दिशा या फिर ईशान कोण में स्थापना करें। जौ के उपर कलश में पानी भरकर रखें गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा, सुपारी डालकर कलश की स्थापना करें।
 इसके बाद कलश के उपर कलावा बांधकर नारियल रख दें। एक पात्र में साफ मिट्टी डालकर सात तरह के अनाज बोएं और इसे चौकी पर रख दें। कलश के साथ धूप दीपक जलाएं बाए और धूप और दाहिने ओर दीपक जलाएं। अंत में दीपक जलाकर गणपति, माता रानी, नवग्रहों का आवाहन करें। फिर विधिवत देवी की पूजा करें। कलश पर आम के पत्ते जरूर रखें साथ ही रोजाना पुष्प, नैवेद्य अर्पित करें।
 भूलकर भी न करें ये गलती—
कलश स्थापना के समय भूलकर सभी पुराने कलश या फिर टूटे फूटे कलश का प्रयोग न करें माना जाता है कि ऐसे कलश की स्थापना करने से माता रानी क्रोधित हो सकती है और परिवार के मुखिया की नौकरी व आय पर संकट बना रहता है।
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