आज मातृ नवमी? जानें इस दिन श्राद्ध करने की विधि और सही तिथि

हिन्दू धर्म में आश्विन मास के कृष्ण पक्ष का विशेष महत्त्व होता है. यदपि इसमें कोई मांगलिक कार्य तो नहीं किये जाते हैं, परन्तु धार्मिक कार्य और पितरों के तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कार्य किये जाते हैं.

Update: 2021-09-30 04:01 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिन्दू धर्म में आश्विन मास के कृष्ण पक्ष का विशेष महत्त्व होता है. यदपि इसमें कोई मांगलिक कार्य तो नहीं किये जाते हैं, परन्तु धार्मिक कार्य और पितरों के तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कार्य किये जाते हैं. यह पूरा कृष्ण पक्ष पितरों और पूर्वजों को समर्पित होता है. इस लिए इसे पितृ पक्ष कहते हैं. पितर पक्ष की प्रत्येक तिथि पर तिथि विशेष के अनुरूप श्राद्ध या तर्पण किया जाता है. इस आधार पर पितर पक्ष की नवमी तिथि पर माताओं, सुहागिन स्त्रियों और अज्ञात महिलाओं के श्राद्ध का विधान है. इसे मातृ नवमी कहते हैं. आइए जानते हैं मातृ नवमी की सही तिथि और श्राद्ध की विधि.

मातृ नवमी के श्राद्ध की विधि
हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष की नवमी तिथि पर माताओं और सुहागिन स्त्रियों के लिए श्राद्ध और तर्पण का विधान है. पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार, नवमी तिथि 29 सितंबर 2021 को रात्रि 8:29 से शुरू होकर 30 सितंबर को रात्रि 10 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म आज 30 सितंबर, दिन गुरूवार को किया जाना है.
ऐसे करें मातृ नवमी पर श्राद्ध व पूजन
पितृ पक्ष की मातृ नवमी के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत हो लें. उसके बाद घर की दक्षिण दिशा में एक चौकी रखकर उस पर साफ़ और स्वच्छ सफ़ेद कपड़ा बिछाएं. चौकी पर मृत व्यक्ति की फोटो लगाएं. फोटो पर माला और फूल अर्पित करें. उसके बाद गंगा जल और तुलसी पत्र चढ़ाएं. पुराण, गजेन्द्र मोक्ष या भागवत गीता का पाठ करें. सात्विक भोजन बनाकर दक्षिण दिशा में माताओं के नाम से रखें. गाय, कौआ,चींटी,चिड़िया तथा ब्राह्मण के लिए भी भोजन अवश्य निकालें. ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद यथा शक्ति दान अवश्य जरूर दें.


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