मां सीता को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। इसलिए माता सीता की पूजा करने से मां लक्ष्मी खुद-ब-खुद प्रसन्न हो जाती हैं, जिन्हें धन की देवी भी कहा जाता है। सीता नवमी पर सच्चे मन से मां सीता की उपासना करने वालों के घर में कभी धन की कमी नहीं रहती है। ऐसी भी मान्यताएं हैं कि माता सीता की पूजा-पाठ से रोग और पारिवारिक कलह से मुक्ति मिल सकती है।
सीता नवमी इस बार मंगलवार, 9 मई को शाम 6:32 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन शाम 7:24 बजे तक रहेगी। उदिया तिथि होने के कारण सीता नवमी 10 मई को ही मनाई जाएगी।
पूजन विधि
- सीता नवमी पर माता सीता का श्रृंगार करके उन्हें सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है।
- शुद्ध रोली मोली, चावल, धूप, दीप, लाल फूलों की माला, गेंदे के पुष्प और मिष्ठान आदि से माता सीता की पूजा अर्चना करें।
- तिल के तेल या गाय के घी का दीया जलाएं और एक आसन पर बैठकर लाल चंदन की माला से ॐ श्रीसीताये नमः मंत्र का एक माला जाप करें।
- अपनी माता के स्वास्थ्य की प्रार्थना करें। लाल या पीले फूलों से भगवान श्री राम की भी पूजा अर्चना करें।
माता सीता जी आरती
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सीताजी रघुबर-प्यारी की...
जगत-जननि जगकी विस्तारिणि,
नित्य सत्य साकेत विहारिणि।
परम दयामयि दीनोद्धारिणि, मैया भक्तन-हितकारी की...
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सतीशिरोमणि पति-हित-कारिणि,
पति-सेवा-हित-वन-वन-चारिणि।
पति-हित पति-वियोग-स्वीकारिणि,
त्याग-धर्म-मूरति-धारी की...
आरति श्रीजनक-दुलारी की...
विमल-कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पावन मति आई।
सुमिरत कटत कष्ट दुखदायी,
शरणागत-जन-भय-हारी की..
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सीताजी रघुबर-प्यारी की...