Monthly Durgashtami : मनचाहे वर की होगी प्राप्ति के लिए मासिक दुर्गाष्टमी पर करें ये खास काम

Update: 2024-06-13 11:42 GMT
Monthly Durgashtami ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन मासिक दुर्गाष्टमी को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में पड़ती है। पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी के तौर पर मनाया जाता है यह तिथि मां दुर्गा की साधना आराधना को समर्पित किया गया है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से लाभ की प्राप्ति होती है।
पंचांग के अनुसार अभी ज्येष्ठ का महीना चल रहा है और इस माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत पूजन किया जाएगा। जो कि इस बार 14 जून दिन शुक्रवार यानी कल पड़ रही है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से जगत जननी मां दुर्गा की कृपा बरसती है और भक्तों की इच्छाएं पूरी हो जाती है। इसके अलावा अगर मासिक दुर्गाष्टमी के दिन कुछ खास उपायों को किया जाए तो मनचाहा वर भी प्राप्त होता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा मासिक दुर्गाष्टमी के आसान उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
मासिक दुर्गाष्टमी के उपाय—
अगर आप का शुक्र कमजोर है तो ऐसे में मासिक दुर्गाष्टमी के दिन माता रानी को श्रृंगार की वस्तुएं भेंट करें माना जाता है कि इस उपाय को करने से कुंडली का शुक्र मजबूत हो जाता है और शीघ्र विवाह के योग भी बनने लगते हैं। इसके अलावा मासिक दुर्गाष्टमी पर माता के मंदिर जाकर उनकी विधिवत पूजा करें और उन्हें मौसमी फलों का भोग लगाएं माना जाता है कि ऐसा करने से देवी प्रसन्न होकर कृपा करती है और जीवन के कष्टों को दूर कर देती है।
अविवाहित कन्याएं शीघ्र विवाह के लिए मासिक दुर्गाष्टमी के दिन स्नान ध्यान के बाद लाल वस्त्र धारण करें इसके बाद पूजा के समय मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करें माना जाता है कि इस उपाय को करने से शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं। इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करना भी अच्छा माना जाता है मासिक दुर्गाष्टमी से लेकर लगातार 40 दिनों तक माता की विधिवत पूजा कर उनके मंत्रों का 21 बार जाप करें। ऐसा करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं और मनचाहा वर भी मिलता है।
ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥
विवाह मंत्र
हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया।
मां कुरु कल्याणि कान्तकातां सुदुर्लभाम्॥
ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ
चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।
ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि।
विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रं च देहि मे ।।
लड़कों के लिए विवाह मंत्र
ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा”
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणिम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।।

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