मौनी अमावस्या की व्रत कथा और महत्व, जाने एक क्लिक पर
हिंदी पंचांग के अनुसार, 1 फरवरी को माघ अमावस्या है। इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन गंगा स्नान, पूजा और दान का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं।
हिंदी पंचांग के अनुसार, 1 फरवरी को माघ अमावस्या है। इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन गंगा स्नान, पूजा और दान का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं। वहीं, मौनी अमावस्या के दिन दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है। सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या की तिथियों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान और पूजा करते हैं। इस मौके पर गंगा घाट पर उत्स्व जैसा माहौल रहता है। आइए, मौनी अमावस्या की कथा जानते हैं-
मौनी अमावस्या की कथा
प्राचीन समय की बात है। कांचीपुरी नामक नगर में देवस्वामी नामक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था। उनकी धर्मपत्नी बेहद गुणवान थी। ब्राह्मण दम्पत्ति को 7 पुत्र और एक पुत्री थी। जब देवस्वामी अपनी पुत्री के विवाह हेतु ज्योतिष से सलाह ली, तो ज्योतिष ने कुंडली में ग्रह दशा देख ब्राह्मण को दुखी खबर दी
ज्योतिष ने कहा कि विवाह उपरांत कन्या विधवा हो जाएगी। यह सुन ब्राह्मण दंपत्ति चिंता में डूब गई। उसी समय ज्योतिष ने उन्हें समस्या का समाधान बताया। ज्योतिष ने सलाह दी कि सिंहलद्वीप की धोबिन सोमा की पूजा करने से दोष दूर हो जाएंगे। देवस्वामी ने धोबिन को घर बुलाकर उनकी पूजा की। ब्राह्मण के अतिथि सत्कार से प्रसन्नहोकर धोबिन ने पुत्री के पति को जीवनदान दिया।
कालांतर में जब ब्राह्मण की पुत्री के पति की मृत्यु हो गई, तो धोबिन के वरदान से वह पुनः जीवित हो उठा। जब धोबिन की पूजा करने का पुण्य क्षीण हो गया, तो पुनः पुत्री के पति की मृत्यु हो गई। उस समय ब्राह्मण दंपत्ति ने पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर मौनी अमावस्या को भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-उपासना की। इससे सभी पुनः जीवित हो उठे।