Mauni Amavasya: मौनी अमावस्या पर प्रदोष काल में करें ये उपाय, भोलेनाथ दूर करेंगे आपके सारे दुख
Mauni Amavasya: मौनी अमावस्या का हिंदू धर्म में अधिक महत्व माना गया है। इस दिन बड़ी संख्या में लोग मौन व्रत रख पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इसके बाद विधि-विधान से पूजा इत्यादि करते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त प्रात: काल से शुरू होकर शाम 6.18 तक रहेगा। इस दौरान लोग पवित्र नदियों या गंगाजल से स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन पूजन के बाद दान भी करना शुभ माना गया है।
मौनी अमावस्या के दिन प्रदोष काल (शाम) में भगवान शिव के पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके 108 नाम लिए जाने चाहिए। रुद्रा अष्टकम का पाठ करना चाहिए और महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी करना चाहिए। इसके अलावा, तुलसी की पूजा का महत्व माना गया है।
रुद्रा अष्टकम का पाठ
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं ॥1॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं, गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशं।
करालं महाकाल कालं कृपालं,गुणागार संसारपारं नतोऽहं ॥2॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्रीशरीरं।
स्फुरंमौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भालबालेन्दु कंठे भुजंगा ॥3॥
चलत्कुंडलं भ्रू सुनेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकंठं दयालं।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुंडमालं,प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥4॥
प्रचंडं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखंडं अजं भानुकोटिप्रकाशं।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यं ॥5॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सज्जनानंददाता पुरारि।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि ॥6॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजंतीह लोके परे वा नराणां।
न तावत्सुखं शांति संतापनाशं, प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ॥7॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां, नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यं।
जरा जन्म दुखौघ तातप्यमानं, प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥8॥
महामृत्युंजय मंत्र का जाप
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
इसके साथ ही जातक भगवान शिव के ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें।
ऐसे करें तुलसी पूजा
मौनी अमावस्या के दिन तुलसी की पूजा करने से घर में धन-संपदा बनी रहती है। साथ ही तुलसी के नीचे शाम के समय में दीपक जलाएं और कच्चा दूध अर्पित करें तो आपको अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
साथ ही शाम के समय पितरों के लिए सरसों के तेल का दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाना न भूलें। इससे आपको पितृदोष से मुक्ति मिल सकती है।