ज्योतिष न्यूज़ : मार्कण्डेय पुराण 18 महापुराणों में से एक है. यह ऋषि मार्कण्डेय द्वारा भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण को सुनाया गया था. यह पुराण हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसमें सृष्टि, विनाश, पुनर्जन्म, कर्म, मोक्ष और अन्य धार्मिक विषयों पर विस्तृत जानकारी दी गई है. मार्कण्डेय पुराण में कई कहानियां और उपकथाएं हैं, जिनमें से कुछ सबसे प्रसिद्ध हैं जैसे मार्कण्डेय ऋषि की अमरता की कहानी, यह कहानी मार्कण्डेय ऋषि के बारे में है जिन्हें भगवान शिव से अमरता का वरदान मिला था.
सती का आत्मदाह, यह कहानी देवी सती के बारे में है जिन्होंने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव का अपमान किए जाने के बाद खुद को आग में जला दिया था. भगवान कृष्ण का जन्म जिसमें उनके बचपन की लीलाओं के बारे में है. मार्कण्डेय पुराण का हिंदू धर्म में गहरा प्रभाव रहा है. इस पुराण का उल्लेख अनेक धार्मिक ग्रंथों और स्त्रोतों में किया गया है. यह पुराण आज भी हिंदुओं द्वारा पढ़ा और श्रद्धा के साथ सुना जाता है.
महर्षि मार्कंडेय कौन थे?
महर्षि मार्कंडेय हिंदू धर्म के एक महान ऋषि थे. ऋषि मार्कंडेय का जन्म मृकंड ऋषि और मनस्विनी नामक रानी के पुत्र के रूप में हुआ था. उनके पिता मृकंड ऋषि भगवान शिव के अनन्य भक्त थे. ऋषि मार्कंडेय को भगवान विष्णु से अमरता का वरदान प्राप्त हुआ था. यह वरदान उन्हें तब मिला जब वे भगवान शिव की तपस्या कर रहे थे. महर्षि मार्कंडेय ने भगवान विष्णु को जो कथाएं सुनाई थीं, उन्हें मार्कंडेय पुराण के नाम से जाना जाता है. यह पुराण 18 महापुराणों में से एक है और इसमें हिंदू धर्म के अनेक महत्वपूर्ण विषयों का वर्णन है. ऋषि मार्कंडेय ज्ञान और शिक्षा के प्रतीक हैं. उन्हें वेदों और पुराणों का ज्ञान था और वे एक महान शिक्षक भी थे. महर्षि मार्कंडेय हिंदू धर्म में एक महान ऋषि थे जिन्होंने ज्ञान, शिक्षा और भक्ति का मार्ग दिखाया.
मार्कण्डेय पुराण के रचयिता कौन है?
मार्कण्डेय पुराण के रचयिता को लेकर विवाद है. कुछ लोगों का मानना है कि यह पुराण ऋषि मार्कण्डेय द्वारा रचित है, जिन्होंने इसे भगवान विष्णु को सुनाया था. दूसरों का मानना है कि यह पुराण कई ऋषियों और विद्वानों द्वारा रचित है और समय के साथ इसमें परिवर्तन और संशोधन किए गए हैं. यह भी संभव है कि यह पुराण मौखिक परंपरा से विकसित हुआ हो और बाद में इसे लिखित रूप में लाया गया हो. मार्कण्डेय पुराण के रचयिता के बारे में निश्चित रूप से कहना मुश्किल है. यह संभव है कि यह ऋषि मार्कण्डेय द्वारा रचित हो, या यह कई ऋषियों और विद्वानों का सामूहिक कार्य हो, या यह मौखिक परंपरा से विकसित हुआ हो. महत्वपूर्ण बात यह है कि मार्कण्डेय पुराण हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो जीवन, मृत्यु, धर्म और मोक्ष के बारे में महत्वपूर्ण शिक्षा प्रदान करता है.
मार्कण्डेय पुराण में कितने अध्याय हैं?
मार्कण्डेय पुराण हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो जीवन, मृत्यु, धर्म और मोक्ष के बारे में महत्वपूर्ण शिक्षा प्रदान करता है. इसमें 137 अध्याय हैं. हालांकि, कुछ पांडुलिपियों में 90 अध्याय और कुछ में 197 अध्याय भी होते हैं. परंपरा और कुछ मध्ययुगीन ग्रंथों का दावा है कि मार्कण्डेय पुराण में 9,000 श्लोक हैं, लेकिन जीवित पांडुलिपियों में लगभग 6,900 श्लोक हैं.
मार्कण्डेय पुराण के अध्याय
अध्याय 1-5: सृष्टि की रचना, ब्रह्मा, विष्णु और शिव की उत्पत्ति, और देवताओं और दानवों के बीच युद्ध.
अध्याय 6-18: मनु और शतरूपा की कहानी, प्रलय और नया सृजन.
अध्याय 19-33: भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की कथाएं, जैसे कि वामन, नृसिंह, राम और कृष्ण.
अध्याय 34-79: मार्कण्डेय ऋषि की कथा, उन्हें अमरता का वरदान प्राप्त होता है.
अध्याय 80-81: शिव-पार्वती विवाह की कथा.
अध्याय 82-93: देवी दुर्गा का जन्म और महिषासुर का वध.
अध्याय 94-126: धर्म, नीति, कर्म और मोक्ष के बारे में शिक्षाएं.
अध्याय 127-137: भविष्य की भविष्यवाणी और कलियुग के बारे में विवरण