मकर संक्रांति 2022 : छात्रों के लिए रहेगा बेहद शुभ बनेगा उभयचर और अमला योग

मकर संक्रांति के मौके पर इस बार सूर्य द्वारा उभयचर योग और चंद्रमा द्वारा अमला योग का निर्माण हो रहा है। दोनों योग आम श्रद्धालुओं के लिए बेहतर साबित होंगे।

Update: 2022-01-04 12:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मकर संक्रांति के मौके पर इस बार सूर्य द्वारा उभयचर योग और चंद्रमा द्वारा अमला योग का निर्माण हो रहा है। दोनों योग आम श्रद्धालुओं के लिए बेहतर साबित होंगे। ज्योतिषाचार्य पीके युग के अनुसार इस दिन सूर्य से द्वितीय एवं द्वादश भाव में गुरु एवं शुक्र के रहने के कारण श्रेष्ठ उभय-चर योग का निर्माण हो रहा है। सूर्य से बनने वाले सबसे बढ़िया योगों में इस योग की गिनती होती है। यह योग शासन-सत्ता के लिए बेहद बढ़िया माना जाता है। इसके अलावा आरोग्यता और स्वास्थ्य के लिए भी यह योग बेहतर माना जाता है। मकर संक्रांति के मौके पर चंद्रमा से निर्मित भी एक महत्वपूर्ण योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन चंद्रमा से दशम भाव में गुरु जैसे शुभ ग्रह के रहने के कारण अमला योग का निर्माण हो रहा है। इस योग से लोगों में धर्म के प्रति सात्विकता का निर्माण होता है। यह योग विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए बेहद अच्छा माना जाता है। इस योग से विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ती है।

14 जनवरी को मकर राशि प्रवेश
मकर संक्रांति से देवताओं के दिन का आरंभ माना जाता है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 29 मिनट पर हो रहा है। मकर संक्रांति का पुण्य काल 2 बजकर 43 मिनट से शाम 5 बजकर 45 मिनट तक है। हालांकि, मकर संक्रांति मनाने को लेकर ज्योतिषियों में मतभिन्नता है। आचार्य माधवानंद (माधव जी) कहते हैं कि 14 जनवरी को ही संक्रांति मनाया जाना शास्त्रत्त् के अनुरूप है। सूर्य धनु से मकर राशि में 14 जनवरी को ही प्रवेश कर रहा है। हालांकि बनारस पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाने की बात है। कुछ ज्योतिषियों के अनुसार उदया तिथि में संक्रांति मनाने के तर्क के अनुसार श्रद्धालु 15 जनवरी को यह पर्व मनाएंगे।
मांगलिक कार्य होंगे शुरू
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति कहते है। मकर संक्रांति के दिन से शुभ कार्यों जैसे विवाह मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश जैसे कार्य आरंभ हो जाते हैं। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। इसी दिन गंगा पृथ्वी पर अवतरित होकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई गंगा सागर में मिली थी।
- मिथिला पंचांग के अनुसार 14 व बनारस पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को मनेगी संक्रांति
- मकर संक्रांति के बाद शुरू होंगे वैवाहिक कार्यक्रम, सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को दोपहर 2. 29 मिनट पर
बाजार में मकर संक्रांति की धूम
बाजार में गुड़, तिल और तिलकुट की खुशबू बिखरनी शुरु हो गई है। मोहल्लों और बाजारों में तिलकुट, लाई, चूड़ा, तिल आदि की दुकानें सज गई हैं। गोविंद भोग, कतरनी, मोटा और पत्ती चूड़ा सहित बाजार में कई तरह के चूड़ा बिक्री के लिए उपलब्ध है। भागलपुर की कतरनी चूड़ा सौ से सवा सौ रुपये किलो तक बिक रहा है। वहीं गुड़ तिलकुट ढाई सौ रुपये किलो से लेकर 4 सौ रुपये किलो तक बिक रहा है। जबकि पटनावासी चीनी तिलकुट और खोआ तिलकुट भी खरीद रहे हैं। इसके अलावा बाजार में लाई, तिल के लड्डू आदि भी बिक रहा है।
तिल-गुड़ का करें दान
मकर संक्रांति के दिन सुबह नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर सूर्य की पूजा-अर्चना करना चाहिए। इस दौरान गायत्री मंत्र एवं आदित्य ह्रदय स्त्रत्तेत का पाठ करना चाहिए। पूजा-अर्चना करने के बाद तिल, गुड़, कंबल आदि का दान करना चाहिए।


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