आरोग्य का आशीष और सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं मां कात्यायनी
नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना की जाती है। मां कात्यायनी सुख-समृद्धि का आशीष प्रदान करती हैं। मां का स्वरूप अत्यंत भव्य है। मां की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से जीवन सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है।
नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना की जाती है। मां कात्यायनी सुख-समृद्धि का आशीष प्रदान करती हैं। मां का स्वरूप अत्यंत भव्य है। मां की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से जीवन सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है। मां कात्यायनी के भक्तों को शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है। मां की कृपा से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
मां कात्यायनी ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था, जिस कारण मां कात्यायनी को दानव, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है। माता कात्यायनी ब्रज की अधिष्ठात्री देवी हैं। सच्चे मन से मां की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम लगाएं। मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं। मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना से विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं। मां की उपासना से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है। मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है। मां कात्यायानी को गुड़हल या लाल रंग का पुष्प अर्पित करें। मां की आरती करें और क्षमायाचना करें। मां कात्यायनी को लाल रंग प्रिय है। पूजा के समय लाल रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए। माता अपने भक्तों को दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।