आइए जानते है ,महाभारत युद्ध और उसके परिणाम के बारे में किन महापुरुषो को पहले से ही था ज्ञान

महाभारत का युद्ध आज से करीब पांच हजार वर्ष पूर्व हुआ था।

Update: 2021-12-19 02:48 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महाभारत का युद्ध आज से करीब पांच हजार वर्ष पूर्व हुआ था। कुरुक्षेत्र में कौरवो और पांडवो के बीच 18 दिन तक चले इस युद्ध में लाखों की संख्या में योद्धाओं ने भाग लिया था। परन्तु संयोग की बात तो यह है कि 18 दिन तक चले इस युद्ध में केवल 18 ही महारथी बचे थे। इस भयानक युद्ध में कौरवों के तो संपूर्ण कुल का ही नाश हो गया था और वहीं पांडवों के भी लगभग सभी पुत्र मारे गए थे। वहीं हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि जब यह युद्ध होना तय भी नहीं हुआ था तब से ही ये सात लोग जानते थे कि युद्ध होगा और इसका क्या परिणाम होगा। इन सात लोगों को युद्ध के परिणाम के बारे में पहले से ही पता था, यानि पांडवों की जीत के बारे में ये लोग पहले से ही जानते थे। तो आइए जानते हैं वे कौन से सात लोग थे जिन्हें महाभारत युद्ध और उसके परिणाम के बारे में पहले से ही ज्ञान था।

श्रीकृष्ण
यह बात तो सभी लोग जानते हैं कि श्रीकृष्ण को युद्ध होने और उसका क्या परिणाम होगा, इसके बारे में सबसे पहले जानकारी थी। वहीं महाभारत काव्य में एक किस्सा ऐसा भी आता है जब श्रीकृष्ण युद्ध के कुछ दिन पहले द्रोपदी को युद्ध के परिणाम के बारे में बताते हैं और साथ ही उसके पांच पुत्रों का वध हो जाने के बारे में भी बताते हैं। जिसे सुनकर द्रोपदी का हृदय दुख से भर जाता है।
भीष्म पितामह
ऐसी मान्यता है कि भीष्म पितामह को दिव्य दृष्टि प्राप्त थी और वह भी जानते थे कि युद्ध तय है और इसका क्या परिणाम होगा। परन्तु उन्हें दुख इस बात का था कि उन्हें कौरवों की ओर से युद्ध लड़ना पड़ा। क्योंकि वे राजसिंहासन और हस्तिनापुर से बंधे थे और उस समय हस्तिनापुर पर कौरवों का शासन था। जिस कारण वह ना चाहते हुए भी कौरवों के साथ और पांडवों के विरुद्ध थे।
ऋषि वेद व्यास
ऋषि वेद व्यास भी उस दौरान के दिव्य दृष्टि प्राप्त ऋषियों में से एक थे और वे भी यह भलीभांति जानते थे कि युद्ध तय है। परन्तु फिर भी उन्होंने धृतराष्ट्र को कई बार संकेतों के माध्यम से समझाया था। कि अभी भी वक्त है, तुम इस युद्ध को रोक दो अन्यथा तुम्हारे कुल का नाश हो जाएगा। परन्तु धृतराष्ट्र वेद व्यास जी की इस बात को समझ नहीं पाएं जिसका नतीजा युद्ध हुआ और युद्ध में उनके कुल का नाश हुआ।
सहदेव
पांडवों में एक मात्र सहदेव ही त्रिकालदर्शी थे। सहदेव ने अपने पिता पांडु के मस्तिक के तीन हिस्से खाए थे। इसीलिए वह त्रिकालदर्शी बन गए थे। सहदेव भविष्य में होने वाली हर घटना को पहले ही जान लेते थे और वह जानते थे कि महाभारत का युद्ध होने वाला है और कौन किसकी मृत्यु का कारण बनेगा। तथा अंत में किसकी विजय होगी, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि अगर वह इस युद्ध के बारे में लोगों को बताएंगे तो उनकी मृत्यु हो जाएगी।
संजय
यह भी कहा जाता है कि संजय को युद्ध का क्या परिणाम होगा, इसका पूरा ज्ञान था। संजय को महर्षि वेद व्यास ने दिव्य दृष्टि इसीलिए प्रदान की थी, ताकि वह हस्तिनापुर के राजमहलों में बैठे हुए युद्ध को देख सकें और उसका वर्णन धृतराष्ट्र को सुना सकें। दरसअल धृतराष्ट्र ने महर्षि वेद व्यास ने पूछा था कि ऋषिवर अगर आप इस युद्ध का परिणाम बता दें तो आपकी बहुत ही कृपा होगी। तब वेद व्यास जी कहते हैं जो वृक्ष छाया नहीं देते उनका कट जाना ही उचित है। तब धृतराष्ट्र पूछते हैं कि कटेगा कौन? यह सुनकर वेद व्यास जी कहते हैं कि इस प्रश्न का उत्तर तुम संजय से पूछ लेना और ऐसा कहकर वेद व्यास जी वहां से चले जाते हैं। कहते हैं कि संजय श्रीकृष्ण के भक्त थे और वह धृतराष्ट्र के सारथी भी थे। अत: उन्होंने कभी भी अपनी भक्ति को अपने कार्य से नहीं टकराने दिया।
द्रोणाचार्य
कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य भी जानते थे कि जिधर श्रीकृष्ण हैं विजयश्री उधर के पक्ष की ही होगी। द्रोणाचार्य को भी दिव्य दृष्टि प्राप्त होने की बात कही जाती है। देवगुरु बृहस्पति ने ही द्रोणाचार्य के रुप में जन्म लिया था।
कृपाचार्य
यह भी कहा जाता है कि कृपाचार्य को भी युद्ध के परिणाम का अनुमान था। संभवत: उन्हें दिव्य दृष्टि भी प्राप्त थी। क्योंकि श्रीकृष्ण के विश्वरुप का दर्शन वहीं लोग कर सकते थे जिनके पास दिव्य दृष्टि थी। कृपाचार्य ने भी श्रीकृष्ण के विश्वरुप का दर्शन किया था। तो यही वे सात व्यक्ति थे जिन्हें महाभारत का युद्ध होने से पहले ही पांडवों की जीत के बारे में ज्ञान था।


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