जानें कैसे बनी हैं गणपति की प्रतिमा

Update: 2023-08-16 13:56 GMT
सनातन धर्म में बुधवार का दिन गणेश भगवान की पूजा आराधना को समर्पित किया गया हैं इस दिन भक्त गौरी और शिव के पुत्र गणेश की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा प्रथम पूजनीय श्री गणेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां गणेश जी की विशाल मूर्ति देखने को मिलती हैं शिव पुत्र की यह प्रतिमा बेहद खास तरीके से बनाई गई हैं मान्यता है कि यहां दर्शन पूजन सुख समृद्धि प्रदान करता हैं।
हम बात कर रहे हैं विश्वप्रसिद्ध उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के पास बने एक गणेश मंदिर की। इस मंदिर का इतिहास भी रोचक हैं तो आज हम आपको बुधवार के दिन गणपति के इस मंदिर और यहां की मूर्ति से जुड़ी जानकारी आपको प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जानें कैसे बनी हैं गणपति की यह प्रतिमा—
गौरी पुत्र गणेश की इस भव्य प्रतिमा को लेकर कहा जाता है कि यह प्रतिमा करीब 114 वर्ष पूर्व इस मंदिर में स्थापित की गई थी। इस गणेश प्रतिमा की स्थापना महर्षि गुरु महाराज सिद्धांत वागेश पं. नारायणजी व्यास ने करवाई थी। आपको बता दें कि भगवान गणेश की यह प्रतिमा सीमेंट की नहीं बल्कि गुड़ और मेथी के दानों से बनी मानी जाती हैं। इसके साथ ही प्रभु की प्रतिमा के निर्माण में ईंट, चूने, बालू और रेत का भी इस्तेमाल किया गया हैं।
कहा जाता है कि भगवान गणेश की इस मूर्ति को बनाने में सभी पवित्र तीर्थों के जल का प्रयोग भी किया गया हैं। यही कारण है कि इस मंदिर की गणेश प्रतिमा को अन्य मूर्तियों से भिन्न और विशेष बताया गया हैं। जानकारों के अनुसार इस मंदिर की गणेश प्रतिमा के निर्माण में कुल ढाई साल का वक्त लगा था। कहा जाता हैं कि रक्षाबंधन के दिनों में यहां पर महिलाएं भारी संख्या में श्री गणेश को राखी बांधने आती हैं।
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