इन वृक्षों में होता है लक्ष्मी का वास, इनकी पूजा से होती है धन-संपत्ति
हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा के साथ पेड़-पौधों की पूजा भी की जाती है। इन पेड़ों को पूजने से भक्तों को भगवान का अथाह आशीर्वाद मिलता है
हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा के साथ पेड़-पौधों की पूजा भी की जाती है। इन पेड़ों को पूजने से भक्तों को भगवान का अथाह आशीर्वाद मिलता है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, यदि भगवान को समर्पित इन कुछ पेड़-पौधों की पूजा की जाए तो इंसान को धन लाभ, नाम, शोहरत जैसे कई पुण्य प्रताप मिलते हैं।
पीपल का पेड़
शास्त्रों में पीपल को देव वृक्ष कहा गया है। इस पेड़ की परिक्रमा से ही कालसर्प जैसे ग्रह योग से छुटकारा मिल जाता है। शास्त्रों के अनुसार पीपल के मूल में भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी निवास करती हैं। मान्यता है कि इस वृक्ष की निरंतर पूजा करने से लक्ष्मी जी खुश होती हैं और अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं।
बरगद का पेड़
हिन्दू धर्म में बरगद को पूजनीय वृक्ष माना गया है। हिंदू धर्म में वट सावित्री का त्योहार पूरी तरह से वट यानी की बरगद के पेड़ को ही समर्पित है। पुराणों के अनुसार पूजा पाठ में पीपल के बाद बरगद के पेड़ का सबसे ज्यादा महत्व है। बरगद में ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास माना गया है। बरगद को देखना भगवान शिव के दर्शन करने के बराबर माना जाता है। महिलाएं वट सावित्री की पूजा करके ही पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।
केले का पेड़
हिंदू धर्म में केले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना गया है। गुरु दोष होने पर व्यक्ति को केले के पेड़ की पूजा करने को कहा जाता है। केले के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति के विवाह के योग जल्दी बनते हैं। सुख-समृद्धि के लिए भी केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए।
शमी और बेल का पेड़
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शमी और बेल के पेड़ में भगवान शिव का वास होता है। शमी का पेड़ शनि देव को भी बेहद प्रिय है। ऐसे में अगर आप कोर्ट-कचहरी के किसी केस में सफलता पाना चाहते हैं, या फिर शत्रुओं पर विजय पाना चाहते हैं, तो दशहरे के मौके पर इसकी विशेष रूप से पूजा की जाती है। साथ ही बेलपत्र के बिना शिव जी की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है। इस पेड़ की जड़ में माता लक्ष्मी का वास माना जाता है। इसका वृक्ष का पूजा करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
नीम का पेड़
नीम के पेड़ का औषधीय के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है। मां दुर्गा का रूप माने जाने वाले इस पेड़ को कहीं-कहीं नीमारी देवी भी कहते हैं। नीम की पत्तियों के धुएं से बुरी और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। हर शुक्ल पक्ष की अष्टमी को सुबह 8 बजे मां दुर्गा का वास इस वृक्ष में रहता है।