जानिए वेदों ने गायत्री मंत्र को महामंत्र क्यों कहा है क्या बाकि मंत्रो का कोई महत्व नहीं है

Update: 2024-06-28 05:30 GMT

 गायत्री मंत्र को महामंत्र :- Gayatri Mantra is called Mahamantra

'गायत्री' एक छन्द भी है जो 24 मात्राओं 8 +8 +8 के योग से बना है । गायत्री ऋग्वेद
मन्त्र जप के लाभ benefits of chanting mantras
गायत्री मन्त्र का नियमित रुप से सात बार जप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ बिलकुल नहीं आती।
जप से कई प्रकार के लाभ होते हैं, व्यक्ति का तेज बढ़ता है और मानसिक चिन्ताओं से मुक्ति मिलती है। 
बौद्धिक क्षमता और मेधाशक्ति यानी स्मरणशक्ति बढ़ती है।
गायत्री मन्त्र में चौबीस अक्षर होते हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं।
इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मन्त्र को सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।
के सात प्रसिद्ध छंदों में एक है। इन सात छंदों के नाम हैं- गायत्री, उष्णिक्, अनुष्टुप्, बृहती, विराट, त्रिष्टुप् और जगती। गायत्री छन्द में आठ-आठ अक्षरों के तीन चरण होते हैं।
ऋग्वेद के मंत्रों में त्रिष्टुप् को छोड़कर सबसे अधिक संख्या गायत्री छंदों की है। गायत्री के तीन पद होते हैं (त्रिपदा वै गायत्री)। अतएव जब छंद या वाक के रूप में सृष्टि के प्रतीक की कल्पना की जाने लगी तब इस विश्व को त्रिपदा गायत्री का स्वरूप माना गया।
गायत्री मन्त्र का देवी के रूप में चित्रण
स्वर सहित गायत्री मन्त्र निम्नलिखित है-
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्स॑वि॒तुर्वरे॑ण्यं॒
भर्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥
गायत्री मन्त्र सुनें:- Listen to Gayatri Mantra
स्वर रहित गायत्री मन्त्र निम्नलिखित है-
ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
गायत्री महामंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र Gayatri Mahamantra is an important mantra of the Vedas है जिसकी महत्ता ॐ के बराबर मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मन्त्र 'भूर्भुवः स्वः' और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के मेल से बना है। इस मंत्र में सवितृ देव की उपासना है, इसलिए इसे सावित्री मन्त्र भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। इसे श्री गायत्री देवी के स्त्री रूप में भी पूजा जाता है।
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