जानें चैत्र नवरात्रि में कब है कन्या पूजन?

नवरात्रि के समय में कन्या पूजन करने का विधान है. 2 से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा की जाती है.

Update: 2022-04-05 12:41 GMT

नवरात्रि के समय में कन्या पूजन करने का विधान है. 2 से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा की जाती है. कन्याओं को साक्षात् मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है. इस वजह से नवरात्रि के समय में कन्या पूजन करते हैं. दुर्गाष्टमी या फिर नवमी के दिन कन्या पूजा होती है. कई स्थानों पर लोग दुर्गाष्टमी के दिन ही कन्या पूजन करते हैं, तो कहीं पर नवमी के दिन. हालांकि आप चाहें तो नवरात्रि में प्रतिदिन भी कन्या पूजन कर सकते हैं. आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन मुहूर्त, विधि एवं महत्व के बारे में.

चैत्र नवरात्रि 2022 कन्या पूजन मुहूर्त
यहां पर आपको दुर्गाष्टमी और नवमी दोनों दिनों मुहूर्त दिए जा रहे हैं, ताकि आप के यहां जिस दिन कन्या पूजन करने का विधान हो, आप उस दिन शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन कर लें.
दुर्गाष्टमी 2022
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि या चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गाष्टमी होती है. इसे महाष्टमी भी कहते हैं. इस वर्ष 09 अप्रैल को दुर्गाष्टमी है. अष्टमी तिथि का प्रारंभ 08 अप्रैल को रात 11:05 बजे से हो रहा है, जो 09 अप्रैल को देर रात 01:23 बजे तक है.
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:02 बजे तक है और सुकर्मा योग दिन में 11:25 बजे से लग रहा है. दिन का शुभ मुहूर्त 11:58 बजे लेकर दोपहर 12:48 बजे तक है. आप इन शुभ समय में कन्या पूजन कर सकते हैं.
राम नवमी 2022
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को राम नवमी कहते हैं. नवमी ति​थि का प्रारंभ 10 अप्रैल को 01:23 एएम से हो रहा है, जो 11 अप्रैल को प्रात: 03:15 बजे तक है. इस दिन सुकर्मा योग दोपहर 12:04 बजे तक है.इस दिन रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग पूरे दिन है. इस दिन आप सुबह से ही कन्या पूजन कर सकते हैं. इस दिन का शुभ समय दिन में 11:57 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक है
कन्या पूजन विधि
दुर्गाष्टमी या राम नवमी पर आप मां दुर्गा की पूजा करें. फिर कन्याओं को भोजन पर आमंत्रित करें. आदरपूर्वक उनको आसन पर बैठाएं. फिर साफ जल से उनके पांव पखारें, उनकी फूल, अक्षत् आदि से पूजा करें. इसके बाद घर पर बने पकवान भोजन के लिए दें. इस दिन हलवा, चना और पूड़ी बनाते हैं. मां दुर्गा स्वरूप कन्याओं को भोजन कराने के बाद दक्षिणा दें और खुशी खुशी उनको विदा करें, ताकि अगले साल फिर आपके घर मातारानी का आगमन हो.


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