जानिए हिन्दू धर्म में मनुस्मृति से क्या अभिप्राय है और इसका मानव जीवन में क्या योगदान है
हिन्दू धर्म में मनुस्मृति से अभिप्राय है:- Manusmriti in Hinduism means
मनुस्मृति की गणना विश्व के ऐसे ग्रन्थों में की जाती है, जिनसे मानव ने वैयक्तिक आचरण और समाज रचना के लिए प्रेरणा प्राप्त की है From which man has drawn inspiration for personal conduct and social structure। इसमें प्रश्न केवल धार्मिक आस्था या विश्वास का नहीं है। मानव जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति, किसी भी प्रकार आपसी सहयोग तथा सुरुचिपूर्ण ढंग से हो सके, यह अपेक्षा और आकांक्षा प्रत्येक सामाजिक व्यक्ति में होती है। विदेशों में इस विषय पर पर्याप्त खोज हुई है, तुलनात्मक अध्ययन हुआ है और समालोचनाएँ भी हुई हैं।
हिन्दु समाज में तो इसका स्थान वेदत्रयी के उपरान्त हैं। मनुस्मृति की पचासों पाण्डुलिपियाँ प्राप्त हुईं हैं। कालान्तर में बहुत से प्रक्षेप भी स्वाभाविक हैं। साधारण व्यक्ति के लिए यह सम्भव नहीं है कि वह बाद में सम्मिलित हुए अंशों की पहचान कर सके। कोई अधिकारी विद्वान ही तुलनात्मक अध्ययन के उपरान्त ऐसा कर सकता है।
मनुस्मृति हिन्दू धर्म व मानवजाति का एक प्राचीन धर्मशास्त्र व प्रथम संविधान Dharmashastras and the First Constitution (स्मृति) है। यह 1776 में अंग्रेजी में अनुवाद करने वाले पहले संस्कृत ग्रंथों में से एक था, ब्रिटिश फिलॉजिस्ट सर विलियम जोंस द्वारा, और ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के लाभ के लिए हिंदू कानून का निर्माण करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। मनुस्मृति में कुल 12 अध्याय हैं जिनमें 2684 श्लोक हैं। कुछ संस्करणों में श्लोकों की संख्या 2964 है
मनु की प्रतिष्ठा , गरिमा और महिमा का प्रभाव एवं प्रसार विदेशों में भी भारत से कम नहीं रहा हैThe spread in foreign countries has also been no less than in India । ब्रिटेन , अमेरिका , जर्मन से प्रकाशित इन्साइक्लोपीडिया में मनु को मानवजाति का आदि पुरुष आदि धर्मशास्त्रकार आदि विधिप्रणेता आदि न्यायशास्त्री और आदि समाजव्यवस्थापक वर्णित किया है । भारतीय सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जज सर विलियम जोन्स ने तो भारतीय विवादों के निर्णय में मनुस्मृति की अपरिहार्यता को देखकर संस्कृत सीखी और मनुस्मृति को पढ़कर उसका सम्पादन भी किया ।
जर्मन के प्रसिद्ध दार्शनिक प्रौडरिच नीत्से ने तो यहां तक कहा कि मनुस्मृति बाइबल से उत्तम ग्रंथ है It is even said that Manusmriti is a better book than the Bible बल्कि उससे बाइबल की तुलना करना ही पाप है । अमेरिका से प्रकाशित इन्साइक्लोपीडिया आफ दि सोशल साइंसिज , कैम्ब्रिज हिस्ट्री आफ इंडिया , कीथरचित हिस्ट्री आफ संस्कृत लिटरेचर , भारतरत्न पी . वी . काणे रचित धर्मशास्त्र का इतिहास , डॉ ० सत्यकेतु रचित दक्षिण - पूर्वी और दक्षिण एशिया में भारतीय संस्कृति आदि पुस्तकों में विदेशों में मनुस्मृति के प्रभाव और प्रसार का जो विवरण दिया गया है , उसे पढ़कर प्रत्येक भारतीय अपने अतीत पर गर्व कर सकता है ।