जानिए मारण मंत्र का मूल उद्देश्य क्या है और किस जगह आप इसका प्रयोग कर सकते है
मारण मंत्र का मूल उद्देश्य:- The main purpose of the killing mantra
जब संयोगवश रोग की शांति या शत्रु की मृत्यु हो जाती थी तो समझा जाता था कि यह मंत्रप्रयोग का फल है और ज्यों-ज्यों इस प्रकार की सफलताओं की संख्या बढ़ती जाती थी त्यों-त्यों ओझा के प्रति लागों का विश्वास द्दढ़ होता जाता था और मंत्रसिद्धि का महत्व बढ़ जाता था।
जब असफलता होती थी तो लोग समझते थे कि मंत्र का प्रयोग भली भाँति नहीं किया गया। नुष्य निश्चेष्ट हो जाता था। क्रियाओं को इस समय हिप्नोटिज्म कहा जाता है। ओझा लोग ऐसी क्रियाएं करते थे जिनसे प्रभावित होकर म
अपने शत्रु पर ओझा के द्वारा लोग मारण मंत्र का प्रयोग करवाया करते थे used to conduct एक्सपेरिमेंट्स. इसमें मूठ नामक मंत्र का प्रचार कई सदियों तक रहा। इसकी विधि क्रियाएँ थीं लेकिन सबका उद्देश्य यह था कि शत्रु का प्राणांत हो। इसलिये मंत्रप्रयोग करनेवाले ओझाओं से लोग बहुत भयभीत रहा करते थे और जहाँ परस्पर प्रबल विरोध हुआ वहीं ऐसे लोगों की माँग हुआ करती थी।
जब किसी व्यक्ति को कोई लंबा या अचानक रोग होता था तो संदेह हुआ करता था used to conduct experiments कि उस पर मंत्र का प्रयोग किया गया है। अत: उसके निवारण के लिये दूसरा पक्ष भी ओझा को बुलाता था और उससे शत्रु के विरूद्ध मारण या उच्चाटन करवाया करता था। इस प्रकार दोनों ओर से मंत्रयुद्ध हुआ करता था।