जानिए क्या कहते है विदुर नीति, हर व्यक्ति को त्याग देनी चाहिए ये 3 चीजें

विदुर महाराज धृतराष्ट्र के महामंत्री थे।

Update: 2021-05-18 08:52 GMT

विदुर महाराज धृतराष्ट्र के महामंत्री थे। महाभारत काल के विद्वानों में महात्मा विदुर का नाम भी आता है। विदुर जी ने अपने ग्रंथ विदुर नीति में जीवन को सरल बनाने वाली कई नीतियों का जिक्र किया है। विदुर महाराज की नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं। विदुर नीति में महाभारत युद्ध से पूर्व युद्ध के परिणाम को लेकर महाराजा धृतराष्ट्र और विदुर जी के बीच का संवाद है। एक नीति में विदुर जी ने उन उपायों के बारे में बताया है जिनसे पूरी दुनिया को जीता जा सकता है। पढ़ें आज की विदुर नीति-

त्रिविधं नरकस्येदं द्वारम नाशनमात्मन:।
काम: क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।
अर्थात- विदुर नीति के अनुसार काम, क्रोध और लोभ ये तीनों आत्मा को नष्ट कर देते हैं। ऐसे में इन तीन चीजों का त्याग कर देना चाहिए।
विदुर जी ने महाराजा धृतराष्ट्र से कहा था कि अगर व्यक्ति का मन काम, क्रोध और लोभ पर आ जाए तो उसे चैन नहीं मिल सकता है। ऐसे में व्यक्ति को संतुष्टि नहीं मिल पाती है और वह सुखी नहीं रह पाता है। व्यक्ति की ये तीन भावनाएं उसे अशांत कर देती हैं, जिसके कारण वह किसी भी काम को ठीक से नहीं कर पाता है।
कहा जाता है कि काम भावना व्यक्ति को पतन की ओर ले जाती है। जीवन साथी के अलावा व्यक्ति को किसी के प्रति कामभाव नहीं रखना चाहिए। इसके साथ ही अपनी काम भावना पर काबू करने की कोशिश भी करनी चाहिए।
क्रोध करना स्वाभाविक है, लेकिन हद से ज्यादा गुस्सा सेहत के लिए भी ठीक नहीं होता है। जो व्यक्ति बात-बात में गुस्सा करते हैं, उनके सोचने-समझने की क्षमता कम हो सकती है। कई बार गुस्से में लिए फैसले आपका ही नुकसान करते हैं। इसलिए व्यक्ति को गुस्सा नहीं करना चाहिए।
लालच व्यक्ति को अधर्म के रास्ते पर ले जाता है। अधर्म का रास्ता व्यक्ति के पतन का कारण बनता है। ऐसे में कई बार व्यक्ति लोभ वश अपना ही नुकसान कर बैठता है।


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